Uttarakhand: हरेला पर्व पर उत्तराखंड में हरियाली की क्रांति, रोपे गए 8 लाख से अधिक पौधे – The Hill News

Uttarakhand: हरेला पर्व पर उत्तराखंड में हरियाली की क्रांति, रोपे गए 8 लाख से अधिक पौधे

देहरादून। उत्तराखंड का पारंपरिक लोकपर्व हरेला इस वर्ष पर्यावरण संरक्षण के एक विशाल जन-अभियान में तब्दील हो गया, जिसने राज्य में एक नया इतिहास रच दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश के सभी 13 जिलों में रिकॉर्ड 8 लाख 13 हजार से अधिक पौधे रोपे गए। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “एक पेड़ माँ के नाम” की प्रेरणा को ‘धरती माँ का ऋण चुकाओ’ के जनसंदेश के साथ जोड़कर एक अभूतपूर्व हरित जनांदोलन बन गया।

इस महा-अभियान की शुरुआत स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में पौधारोपण करके की। उन्होंने इसे केवल एक सरकारी कार्यक्रम तक सीमित न रखकर, जन-जन की भागीदारी सुनिश्चित की, जिससे यह पूरे प्रदेश का उत्सव बन गया। गांवों, कस्बों, शहरों से लेकर स्कूलों तक, हजारों स्थानों पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए।

इस हरित क्रांति में स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, स्वयंसेवी संगठनों, आंगनबाड़ी केंद्रों, महिला समूहों और विशेषकर युवाओं ने पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की। अब तक राज्य भर में 8 लाख 13 हजार से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं, जो किसी एक पर्व के अवसर पर उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा और सफल पौधारोपण प्रयास है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह पर्व दर्शाता है कि उत्तराखंड केवल एक हिमालयी राज्य नहीं, बल्कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए एक जागरूक और सक्रिय समाज का प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह केवल वृक्षारोपण का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसी पहल है जो प्रदेशवासियों में प्रकृति के प्रति आस्था, उत्तरदायित्व और संरक्षण की भावना को और भी गहरा कर रही है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार विकास और आस्था के संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है और पर्यावरण संरक्षण सरकार की प्राथमिक नीतियों का एक अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हरेला अब केवल एक सांस्कृतिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह प्रदेशवासियों की सामूहिक चेतना का उत्सव बन गया है।

इस अभियान की सफलता यह साबित करती है कि जब सरकार की नीति और जनता की भागीदारी एक साथ मिलती है, तो बड़े बदलाव संभव हैं। धरती में रोपे गए ये लाखों पौधे केवल हरियाली नहीं, बल्कि उम्मीद, आस्था और सतत विकास के प्रतीक हैं, जो आने वाले वर्षों में एक हरित, समृद्ध और पर्यावरण-संवेदनशील उत्तराखंड की मजबूत नींव बनेंगे।

 

Pls read:Uttarakhand: जागेश्वर श्रावणी मेले का शुभारंभ, CM धामी बोले- मानसखंड मिशन के तहत होगा मंदिरों का विकास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *