देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए आचरण नियमों को सख्ती से लागू करने की दिशा में एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। अब कोई भी राज्य कर्मचारी 5 हजार रुपए से अधिक की चल या अचल संपत्ति या कीमती सामान खरीदने से पहले अपने विभाग को इसकी पूर्व सूचना देने के लिए बाध्य होगा। इस संबंध में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को स्पष्ट और सख्त आदेश जारी कर दिए हैं, जिसका उद्देश्य वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
क्या है नया आदेश?
मुख्य सचिव कार्यालय से जारी आदेश में ‘उत्तराखंड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली’ का हवाला देते हुए यह निर्देश दिए गए हैं। आदेश के अनुसार, यदि कोई भी राज्य कर्मचारी 5000 रुपये से अधिक मूल्य की कोई वस्तु, चल-अचल संपत्ति या कोई अन्य कीमती सामान खरीदता है, तो उसे इस सौदे को करने से पहले अपने संबंधित विभाग को इसकी सूचना देनी होगी। यह नियम पहले से ही नियमावली में मौजूद था, लेकिन इसका कड़ाई से पालन नहीं हो रहा था, जिसे देखते हुए अब इसे सख्ती से लागू करने का फैसला किया गया है।
क्यों पड़ी सख्ती की जरूरत?
सरकार के इस सख्त रुख के पीछे की वजह यह है कि प्रशासन के संज्ञान में आया था कि नियमावली में प्रावधान होने के बावजूद, कई कर्मचारी बिना किसी पूर्व सूचना के बड़ी संपत्ति और कीमती सामान की खरीद-फरोख्त कर रहे थे। यह न केवल नियमों का स्पष्ट उल्लंघन था, बल्कि इससे कर्मचारियों की आय और संपत्ति के बीच पारदर्शिता की कमी भी पैदा हो रही थी। इस कदम को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और कर्मचारियों की वित्तीय गतिविधियों पर नजर रखने की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।
लागू कराने की जिम्मेदारी विभागाध्यक्षों और जिलाधिकारियों पर
इस नियम को धरातल पर सख्ती से लागू कराने की जिम्मेदारी सभी सचिवों, विभागाध्यक्षों और जिलाधिकारियों को सौंपी गई है। मुख्य सचिव ने अपने आदेश में इन सभी वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से इस नियम का कड़ाई से पालन करवाएं। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि इस नियम की अनदेखी को अब गंभीरता से लिया जाएगा और उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
क्या होगा इसका प्रभाव?
इस आदेश के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों के लिए अब किसी भी बड़ी वित्तीय खरीदारी को छिपाना मुश्किल हो जाएगा। उन्हें हर बड़े सौदे की जानकारी अपने विभाग को देनी होगी, जिससे उनकी संपत्ति का रिकॉर्ड बनाए रखने में आसानी होगी। यह कदम न केवल कर्मचारियों को वित्तीय रूप से अधिक अनुशासित बनाएगा, बल्कि यह सार्वजनिक सेवा में ईमानदारी और पारदर्शिता की संस्कृति को भी बढ़ावा देगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी कर्मचारी अपनी आय के ज्ञात स्रोतों के अनुरूप ही संपत्ति अर्जित करें, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाओं को कम किया जा सके।