Punjab: नकोदर कांड- 1986 की रिपोर्ट का ‘एक्शन टेकन’ हिस्सा गायब, जांच के लिए बनेगी कमेटी

चंडीगढ़। पंजाब की सियासत में 1986 के नकोदर बेअदबी कांड का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने मंगलवार को पंजाब विधानसभा का ध्यान जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग की उस रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया, जिसकी एक प्रति तो विधानसभा में मौजूद है, लेकिन उसकी ‘एक्शन टेकन’ रिपोर्ट (कार्रवाई रिपोर्ट) रहस्यमय तरीके से गायब हो गई है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां से इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट का पता लगाने के लिए एक कमेटी बनाने का आग्रह किया, जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार करते हुए एक समिति के गठन की घोषणा की।

चीमा ने अकाली दल पर साधा निशाना

‘धार्मिक ग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025’ पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग की रिपोर्ट का यह गायब हिस्सा पंजाब के लोगों को 1986 की घटनाओं के पीछे की सच्चाई जानने, उस समय शामिल लोगों के कृत्यों को समझने और उनके वंशजों के मौजूदा कार्यों की हकीकत को देखने में सक्षम बनाएगा।

वित्त मंत्री चीमा ने ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, “ऐतिहासिक रूप से, जब भी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व वाली या किसी धार्मिक रूप से जुड़ी सरकार सत्ता में आई है, तो राज्य को अस्थिर करने के उद्देश्य से, या तो सीधे या साजिशकर्ताओं के माध्यम से, गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने के प्रयास हुए हैं।”

क्या था 1986 का नकोदर कांड?

चीमा ने 2 फरवरी, 1986 की दुखद घटना का हवाला दिया, जब शिरोमणि अकाली दल के कार्यकाल के दौरान नकोदर के गुरुद्वारा साहिब गुरु अर्जन देव जी में पांच पवित्र बीरों को आग लगा दी गई थी। उन्होंने आगे 4 फरवरी, 1986 की घटनाओं का भी जिक्र किया, जब चार युवकों – रविंदर सिंह लित्तरां, बलधीर सिंह रामगढ़, झिलमिल सिंह गुरसियां और हरमिंदर सिंह – को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली मार दी गई थी। चीमा ने इस प्रदर्शन की तुलना बरगाड़ी में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से की।

वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इन घटनाओं के दौरान राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सरकार थी, जिसमें सुरजीत सिंह बरनाला मुख्यमंत्री थे, कैप्टन कंवलजीत सिंह गृह मंत्री थे, और वर्तमान कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा के पिता सुखजिंदर सिंह खैरा शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि तत्कालीन सरकार द्वारा एक भी कार्रवाई नहीं की गई और न ही कोई प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई।

अब, विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित कमेटी इस गायब हुई ‘एक्शन टेकन’ रिपोर्ट का पता लगाएगी, ताकि 38 साल पुराने इस मामले की सच्चाई सामने आ सके और दोषियों की पहचान की जा सके। इस कदम से पंजाब की राजनीति में एक नया तूफान आने की संभावना है, क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर शिरोमणि अकाली दल के पुराने नेतृत्व से जुड़ा है।

 

Pls read:Punjab: पंजाब में डायरिया के खिलाफ महाअभियान, घर-घर बांटे जाएंगे ORS-जिंक किट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *