चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मंगलवार को विधानसभा में नशीले पदार्थों के मुद्दे पर हुई एक बहस के दौरान एक कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उन ‘जरनैलों’ (ताकतवर नेताओं) के प्रति कोई नरमी नहीं बरतेगी, जो नशे के अभिशाप के माध्यम से राज्य के युवाओं के “नरसंहार” के पीछे हैं। उन्होंने कहा कि इन नेताओं को उनके पापों की कीमत चुकानी होगी।
‘नाभा जेल बनी ‘चिट्टे’ का अड्डा’
मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रग्स के व्यापार को संरक्षण देने वाले बड़े ‘जरनैल’ पहले ही सलाखों के पीछे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये नेता न केवल ड्रग्स के व्यापार को संरक्षण देते थे, बल्कि विडंबना यह है कि वे अपनी सरकारी गाड़ियों में नशीले पदार्थों की सप्लाई भी करते थे। भगवंत मान ने कहा, “पहले किसी ने इन अमीर नेताओं को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं की, लेकिन हमारी सरकार ने ऐसा किया है और उन्हें अपने पापों की कीमत चुकानी होगी।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अब नाभा जेल ‘चिट्टे’ (एक प्रकार का नशा) का पर्याय बन गई है, क्योंकि जिन लोगों ने पंजाब में इस जहर को फैलाया, वे अब उसी जेल में बंद हैं।” उन्होंने कहा कि अवैध तरीकों से बेशुमार दौलत कमाने वाले ये नेता अब जेल में सुविधाएं मांग रहे हैं, लेकिन पंजाब के युवाओं की चिता सजाने वाले किसी भी तरह के आराम के हकदार नहीं हैं।
मजीठिया पर बोला तीखा हमला
मुख्यमंत्री ने अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने अपने परिवार की “संदिग्ध विरासत” को आगे बढ़ाते हुए अपने निहित स्वार्थों के लिए पंजाब और उसके लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है। उन्होंने कहा, “मजीठिया के पूर्वजों ने 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार करने वाले जनरल डायर के लिए उसी रात रात्रिभोज का आयोजन कर लोगों के साथ विश्वासघात किया था।” भगवंत मान ने कहा कि उसी तरह, अकाली नेता ने अपने सुनहरे दिनों में राज्य के लोगों को लूटा और ड्रग्स व्यापार को संरक्षण देकर लाखों युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी।
पंजाब को किया जा रहा बदनाम
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नशे के मुद्दे पर पंजाब को बदनाम किया जा रहा है, जबकि कई अन्य राज्यों में यह समस्या पंजाब से कहीं ज्यादा गंभीर है। उन्होंने कहा कि राज्य की छवि खराब करने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब में एक औंस भी नशीला पदार्थ नहीं बनता, जबकि राज्य की सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों से भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त की है।
सरकार की ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ रणनीति
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ (नशे के खिलाफ युद्ध) अभियान चलाकर ड्रग्स व्यापार की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक ठोस रणनीति के तहत चार स्तरों पर काम किया है:
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ड्रग्स की सप्लाई लाइन को तोड़ा गया।
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इस घिनौने अपराध में शामिल ‘बड़ी मछलियों’ को सलाखों के पीछे डाला गया।
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नशा पीड़ितों के पुनर्वास को सुनिश्चित किया गया।
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नशा तस्करों की संपत्ति को जब्त और नष्ट किया गया।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि जांच में यह बात सामने आई है कि नशेड़ी हाथियों को बेहोश करने वाली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर ऐसे जघन्य अपराध के दोषियों को बचाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
अंत में, मुख्यमंत्री ने ‘रंगला पंजाब’ बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उनकी सरकार का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि युवा नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें।
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