Punjab: अहम विधेयकों पर चर्चा जारी, पंजाब विधानसभा का सत्र 15 जुलाई तक बढ़ा

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के मौजूदा सत्र को दो दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया है। अब यह सत्र 15 जुलाई, 2025 तक चलेगा। यह फैसला सदन में चल रही महत्वपूर्ण बहसों और कई अहम विधेयकों को देखते हुए लिया गया है, ताकि राज्य से जुड़े गंभीर मुद्दों पर विस्तृत चर्चा सुनिश्चित की जा सके।

पंजाब के संसदीय मामलों के मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने शुक्रवार को सदन में विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति (Business Advisory Committee) की सिफारिशों से संबंधित रिपोर्ट पेश की, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। उल्लेखनीय है कि 16वीं पंजाब विधानसभा का नौवां सत्र पहले 10 और 11 जुलाई के लिए निर्धारित था, जिसे अब 14 और 15 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

क्यों पड़ी सत्र बढ़ाने की जरूरत?

सत्र को बढ़ाने का यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सदन में कई गंभीर और राज्य के भविष्य से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही है। इनमें सबसे प्रमुख केंद्र सरकार द्वारा राज्य के बांधों पर CISF की तैनाती का विरोध करने वाला प्रस्ताव है, जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और उनके कैबिनेट मंत्री इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।

इसके अलावा, पंजाब में पारंपरिक ग्रामीण खेलों (विशेषकर बैलगाड़ी दौड़) को कानूनी मान्यता देने वाला ‘पशु क्रूरता निवारण (पंजाब संशोधन) विधेयक’, छोटे कारोबारियों को राहत देने और श्रमिकों के कल्याण से जुड़े श्रम सुधार विधेयक, और शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी सदन के एजेंडे में शामिल हैं। इन विधेयकों की गंभीरता को देखते हुए यह महसूस किया गया कि इन पर विस्तृत चर्चा के लिए और समय की आवश्यकता है।

गरमागरम बहस और विधायी कार्य

इस सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर जोरदार बहस हुई है। सरकार जहां अपने जन-हितैषी एजेंडे और पंजाब के अधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता पर जोर दे रही है, वहीं विपक्ष भी विभिन्न मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही तय करने की कोशिश कर रहा है। सत्र का विस्तार यह सुनिश्चित करेगा कि हर विधेयक के सभी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श हो सके और किसी भी कानून को जल्दबाजी में पारित न किया जाए।

कुल मिलाकर, विधानसभा सत्र का यह विस्तार पंजाब की राजनीति और नीति-निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आने वाले दो अतिरिक्त दिनों में यह देखना अहम होगा कि इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर क्या अंतिम निर्णय लिए जाते हैं और राज्य की जनता से जुड़े कानूनों को किस रूप में पारित किया जाता है। यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने और राज्य के महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक चर्चा को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है।

 

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