चंडीगढ़। पंजाब में कारोबार करने में आसानी (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने और छोटे उद्यमों पर अनुपालन के बोझ को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य के श्रम मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोध ने शुक्रवार को विधानसभा में दो प्रमुख श्रम कानूनों में प्रगतिशील संशोधनों की घोषणा की। ये संशोधन ‘पंजाब दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1958’ और ‘पंजाब श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1965’ में किए गए हैं, जिनका उद्देश्य व्यावसायिक सुगमता और कर्मचारी कल्याण के बीच एक संतुलन स्थापित करना है।
छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत
नए संशोधनों के तहत, 20 या उससे कम कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों को अब ‘पंजाब दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम’ के अधिकांश प्रावधानों से छूट दे दी गई है। यह छोटे व्यवसायों के लिए एक बड़ी राहत है। हालांकि, ऐसे प्रतिष्ठानों को अपना व्यवसाय शुरू करने के छह महीने के भीतर संबंधित निरीक्षक को इसकी सूचना देनी होगी।
इसके अलावा, 20 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को भी बेहद सरल बना दिया गया है। अब आवेदन के 24 घंटे के भीतर ‘डीम्ड’ यानी स्वत: मंजूरी का प्रावधान किया गया है, जिससे लालफीताशाही कम होगी।
कर्मचारियों के लिए ओवरटाइम के घंटे बढ़े
कर्मचारियों की कुल आय में सुधार लाने के उद्देश्य से, एक तिमाही में ओवरटाइम के घंटों की सीमा 50 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है। इसके अनुरूप, एक दिन में काम की कुल अवधि (आराम के अंतराल सहित) को 10 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है। हालांकि, कर्मचारियों के हितों की रक्षा करते हुए यह भी सुनिश्चित किया गया है कि दिन में 9 घंटे या सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने पर नियोक्ताओं को दोगुनी दर से ओवरटाइम का भुगतान करना होगा।
श्रम कल्याण निधि में भी अहम बदलाव
‘पंजाब श्रम कल्याण निधि अधिनियम’ में भी कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। अब इस निधि में कर्मचारियों का मासिक योगदान 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये और नियोक्ताओं का योगदान 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इस राशि को अब साल में दो बार की जगह त्रैमासिक (हर तीन महीने में) जमा करना होगा, जिससे बोर्ड की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव में, अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को, जिन्हें इन कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता नहीं हो सकती है, उन्हें इसके दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव है, ताकि लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच सके। साथ ही, अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है, जो पहले नहीं था।
श्रम मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोध ने कहा, “ये संशोधन नियोक्ताओं की परिचालन सुगमता और श्रमिकों के कल्याण, दोनों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। मान सरकार का लक्ष्य एक व्यवसाय-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, साथ ही कर्मचारियों के लिए न्यायपूर्ण और निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करना है। ये सुधार उस दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।”