देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने विधानसभा के आगामी मानसून सत्र की तिथियों और स्थान की घोषणा कर दी है। यह महत्वपूर्ण सत्र 19 अगस्त से 22 अगस्त तक राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय ने सत्र की तैयारियों को लेकर कवायद शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सत्र की तिथि और स्थान तय करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अधिकृत किया गया था। मंत्रिमंडल से मिले इस अधिकार के बाद, मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया। गैरसैंण में सत्र का आयोजन हमेशा से ही विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी है और इससे पर्वतीय क्षेत्रों के विकास और जन-भावनाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का एक मजबूत संदेश भी जाता है।
हंगामेदार रहने के आसार
चार दिवसीय इस सत्र के हंगामेदार रहने की पूरी संभावना है। मानसून के दौरान प्रदेश में हुई भारी बारिश से हुए नुकसान, आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों का मुद्दा सदन में प्रमुखता से उठ सकता है। विपक्ष सरकार को कानून-व्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी के साथ सदन में उतरेगा। वहीं, सत्ता पक्ष भी विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने और अपनी उपलब्धियों को सदन के माध्यम से जनता के सामने रखने का प्रयास करेगा।
इस सत्र के दौरान सरकार की ओर से अनुपूरक बजट पेश किए जाने की भी संभावना है। इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण विधेयक और संशोधन भी पटल पर रखे जा सकते हैं, जिन पर विस्तृत चर्चा और बहस होगी।
तैयारियों में जुटा प्रशासन
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस घोषणा के साथ ही विधानसभा सचिवालय और स्थानीय प्रशासन गैरसैंण में सत्र के सफल आयोजन की तैयारियों में जुट गया है। देहरादून से गैरसैंण तक अधिकारियों, कर्मचारियों और आवश्यक फाइलों को स्थानांतरित करने की एक बड़ी लॉजिस्टिक प्रक्रिया होती है। सत्र के दौरान सुरक्षा व्यवस्था से लेकर विधायकों, मंत्रियों और अधिकारियों के ठहरने तक के सभी इंतजामों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि सत्र का संचालन सुचारू और व्यवस्थित रूप से हो सके।
कुल मिलाकर, गैरसैंण में आयोजित होने वाला यह मानसून सत्र न केवल विधायी कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह प्रदेश के राजनीतिक तापमान को भी बढ़ाएगा। अब सभी की निगाहें 19 अगस्त पर टिकी हैं, जब सदन की कार्यवाही शुरू होगी और प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस का दौर चलेगा।