नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के सियासी गलियारों में एक बार फिर भूचाल आ गया है। अटकलों और अफवाहों का बाजार गर्म है कि देश एक और सैन्य तख्तापलट की कगार पर खड़ा हो सकता है। इन चर्चाओं के केंद्र में हैं सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, जिन्हें हाल ही में फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया है। कहा जा रहा है कि फील्ड मार्शल मुनीर, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को हटाकर सत्ता की पूरी बागडोर अपने हाथों में लेने की तैयारी कर रहे हैं।
पिछले कुछ हफ्तों में हुई कई घटनाओं ने इन कयासों को और हवा दी है। पाकिस्तानी सरकार ने मई में एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की रैंक प्रदान की। यह पाकिस्तान के इतिहास में केवल दूसरा अवसर है जब किसी सैन्य अधिकारी को यह सर्वोच्च पद मिला हो। इससे पहले 1959 में जनरल अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल बनाया था और उसके बाद देश पर लंबे समय तक सैन्य शासन चलाया था। मुनीर की इस पदोन्नति पर तभी से सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब यह घोषणा भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हुई।
इन अटकलों को और बल तब मिला जब जून में फील्ड मार्शल मुनीर ने अमेरिका का दौरा किया और सीधे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। यह मुलाकात अपने आप में अभूतपूर्व थी, क्योंकि यह पहली बार था जब किसी पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी को प्रधानमंत्री को दरकिनार कर व्हाइट हाउस में इस तरह का सम्मान दिया गया। इस बैठक ने पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। कई विशेषज्ञ इसे मुनीर की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के स्पष्ट प्रमाण के रूप में देख रहे हैं।
इस सियासी ड्रामे में एक नया मोड़ भू-राजनीतिक समीकरणों को लेकर भी आया है। पाकिस्तानी पत्रकार एजाज सईद ने दावा किया है कि राष्ट्रपति जरदारी को पद से हटाने की कोशिशें तेज हो गई हैं और उन पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर भी यह खबर वायरल है कि मुनीर, जरदारी के खिलाफ एक ‘खामोश तख्तापलट’ (Silent Coup) की योजना बना रहे हैं। इन खबरों के मुताबिक, इस टकराव की एक बड़ी वजह चीन और अमेरिका को लेकर पाकिस्तान की भविष्य की नीति है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति जरदारी ताइवान के मुद्दे पर चीन का समर्थन करते हैं, जबकि मुनीर ने अमेरिका के साथ एक गुप्त समझौता किया है, जिसका एक बड़ा मकसद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को खत्म करना है।
पाकिस्तान का इतिहास सैन्य तख्तापलट और राजनीतिक अस्थिरता से भरा रहा है। ऐसे में फील्ड मार्शल मुनीर की असाधारण पदोन्नति, उनकी हाई-प्रोफाइल अमेरिकी यात्रा और पर्दे के पीछे की सियासी बयानबाजी ने देश में एक अत्यंत तनावपूर्ण और अनिश्चितता भरा माहौल बना दिया है। फिलहाल यह देखना होगा कि यह सियासी तूफान क्या रुख लेता है और क्या पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य शासन के दौर में प्रवेश करेगा।
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