चंडीगढ़:
पंजाब के वन और वन्यजीव संरक्षण विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए राज्य में हरियाली को बढ़ावा देने हेतु कई नई और महत्वपूर्ण पहलों की रूपरेखा तैयार की है। वन मंत्री लाल चंद कटारूचक्क की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में इन योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई, जिनका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जन-भागीदारी को भी सुनिश्चित करना है।
विभाग की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक, राजमार्गों के किनारे फूलों वाले बड़े पौधे लगाने की एक पायलट परियोजना शुरू करना है। इसके तहत संगरूर, जालंधर-अमृतसर, पठानकोट-अमृतसर और श्री आनंदपुर साहिब के साथ-साथ फगवाड़ा-चंडीगढ़ रोड पर स्थित खटकड़ कलां में पौधे लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, ‘श्री गुरु तेग बहादुर जी हरियावल संकल्प’ के तहत प्रत्येक जिले में 3.50 लाख पौधे लगाने का विशाल लक्ष्य रखा गया है।
लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक जिले में ‘वन महोत्सव’ का आयोजन किया जाएगा, जहाँ आम लोगों को मात्र 2 रुपये प्रति पौधे की रियायती दर पर पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। ‘ग्रीन पंजाब मिशन’ के तहत स्कूल, कॉलेज, पंजाब मंडी बोर्ड और मार्कफेड में 331 हेक्टेयर क्षेत्र में 3.31 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इसके अलावा, ‘श्री गुरु तेग बहादुर पवित्र वन’ योजना के हिस्से के रूप में 52 ‘पवित्र वन’ स्थापित किए जाएंगे। शिक्षण संस्थानों में 289 और औद्योगिक क्षेत्रों में 93 ‘नानक बगीचियां’ भी स्थापित करने की योजना है।
पर्यावरण संरक्षण को संस्कृति से जोड़ने के लिए, प्रसिद्ध पंजाबी कवि स्वर्गीय शिव कुमार बटालवी की जयंती के अवसर पर 23 जुलाई को बटाला में एक कविता प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। यह प्रतियोगिता ‘पेड़ और पर्यावरण संरक्षण’ विषय पर केंद्रित होगी, जिसमें स्कूल और कॉलेज के छात्र हिस्सा लेंगे और विजेताओं को नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।
अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में, क्षतिपूरक वनीकरण योजना (Compensatory Afforestation) के तहत 582.252 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण, पठानकोट जिले में मिट्टी और जल संरक्षण परियोजनाएं, और लिंक सड़कों पर पॉपुलर, द्रेक और सफेदे के लाखों पौधे लगाना शामिल है।
बैठक के दौरान, मंत्री कटारूचक्क ने योजनाओं की सराहना करते हुए कृषि-वानिकी (Agro-Forestry) को बढ़ावा देने पर जोर दिया, क्योंकि यह जैव-विविधता को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण छोड़ने हेतु लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
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