शिमला/मंडी।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पिछले हफ्ते बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन से आई प्रलयंकारी आपदा के बाद लापता हुए 30 लोगों की तलाश के लिए एक बड़ा और सघन तलाशी एवं बचाव अभियान जारी है। ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद से थुनाग, गोहर और करसोग के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में जिंदगी की उम्मीद तलाशी जा रही है। यह अभियान समय के साथ एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
250 से अधिक कर्मी जुटे बचाव कार्य में
इस महा-अभियान में राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF और SDRF), सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), होम गार्ड्स, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय लोग सहित लगभग 250 कर्मी दिन-रात जुटे हुए हैं। बचाव दल मलबे के ढेरों और नदी के किनारों पर लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 20 विशेष टीमें दुर्गम इलाकों में पैदल पहुंचकर जानकारी जुटा रही हैं और उन परिवारों तक भोजन व दवाइयों की किट पहुंचा रही हैं, जिनका संपर्क मुख्य मार्गों से कट गया है।
तबाही का विशाल मंजर और राहत कार्य
इस आपदा ने मंडी जिले में भारी तबाही मचाई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 225 घर, 7 दुकानें, 243 पशुशालाएं और 31 वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। 14 महत्वपूर्ण पुल बह गए हैं और कई सड़कें तबाह हो गई हैं। इस त्रासदी में 215 मवेशियों की भी जान चली गई है, जबकि 494 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
सरकार और प्रशासन द्वारा राहत कार्य भी तेजी से चलाए जा रहे हैं। अब तक प्रभावित लोगों को 1,538 राशन किट वितरित किए जा चुके हैं और 12.44 लाख रुपये की तत्काल राहत राशि दी गई है। सबसे अधिक प्रभावित थुनाग और जंजैहली क्षेत्रों के लिए 5-5 लाख रुपये की अतिरिक्त मदद भी भेजी जा रही है।
प्रदेश भर में असर, 10 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट
इस आपदा का असर पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है। रविवार शाम तक, पूरे प्रदेश में 243 सड़कें यातायात के लिए बंद थीं, जिनमें से 183 सड़कें अकेले मंडी जिले में ही हैं। इसके अतिरिक्त, 241 बिजली ट्रांसफार्मर और 278 जल आपूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं, जिससे बड़े क्षेत्र में बिजली और पानी का संकट पैदा हो गया है।
इस बीच, मौसम विभाग ने 10 जुलाई (गुरुवार) तक राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे बचाव कार्यों में और बाधा आने की आशंका है।
मानसून में अब तक 78 लोगों की मौत
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, 20 जून से मानसून शुरू होने के बाद से प्रदेश में अब तक 78 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 50 मौतें सीधे तौर पर बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई हैं। अब तक 121 लोग घायल हुए हैं। राज्य को अब तक करीब 572 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, हालांकि मुख्यमंत्री का कहना है कि नुकसान का पूरा ब्यौरा आने के बाद यह आंकड़ा 700 करोड़ रुपये के करीब पहुंच सकता है।