वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगले 24 घंटों के भीतर यह स्पष्ट हो जाएगा कि फिलिस्तीनी समूह हमास, गाजा में युद्धविराम के नवीनतम प्रस्ताव को स्वीकार करेगा या नहीं। ट्रंप के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें एक बार फिर मध्य-पूर्व पर टिक गई हैं, जहां महीनों से जारी संघर्ष को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बनता दिख रहा है।
जब ट्रंप से यह पूछा गया कि क्या हमास ने युद्धविराम के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है, तो उन्होंने कहा, “हम देखेंगे कि क्या होता है, हमें अगले 24 घंटों में पता चल जाएगा।” इससे पहले मंगलवार को ट्रंप ने यह जानकारी दी थी कि इसराइल ने हमास के साथ 60-दिवसीय युद्धविराम के लिए आवश्यक शर्तों को मान लिया है, जिसके दौरान दोनों पक्ष स्थायी रूप से युद्ध को समाप्त करने की दिशा में काम करेंगे।
हालांकि, हमास की ओर से अभी अंतिम सहमति बाकी है। हमास से जुड़े सूत्रों के अनुसार, समूह इस बात की ठोस गारंटी चाहता है कि यह युद्धविराम स्थायी रूप से युद्ध की समाप्ति सुनिश्चित करेगा और इसराइली सेना पूरी तरह से गाजा से हट जाएगी। दो इसराइली अधिकारियों ने भी पुष्टि की है कि इन विवरणों पर अभी भी काम चल रहा है।
अब्राहम समझौते के विस्तार पर भी चर्चा

युद्धविराम पर टिप्पणी के अलावा, ट्रंप ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने सऊदी अरब के साथ ‘अब्राहम समझौते’ (Abraham Accord) के विस्तार पर भी बात की है। यह एक ऐतिहासिक समझौता है, जो उनके पहले कार्यकाल के दौरान इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कुछ खाड़ी देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए किया गया था। ट्रंप ने यह टिप्पणी तब की जब उनसे व्हाइट हाउस में सऊदी रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान से हुई मुलाकात के बारे में पूछा गया। उन्होंने विश्वास जताया, “मुझे लगता है कि बहुत से लोग अब्राहम समझौते में शामिल होने जा रहे हैं।”
संघर्ष का भयावह मंजर
यह विनाशकारी संघर्ष अक्टूबर 2023 में तब शुरू हुआ था जब हमास ने इसराइल पर अचानक हमला कर दिया, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया गया। इसके जवाब में इसराइल द्वारा किए गए सैन्य हमलों में, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 56,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस युद्ध ने एक गंभीर मानवीय संकट पैदा कर दिया है, जिसमें भुखमरी का खतरा, गाजा की पूरी आबादी का आंतरिक विस्थापन, और अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में नरसंहार और युद्ध अपराध के आरोप शामिल हैं। हालांकि, इसराइल इन आरोपों से लगातार इनकार करता रहा है।
Pls read:US: पुतिन से बातचीत के बाद निराश हुए ट्रंप, कहा- यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के मूड में नहीं रूस