Karnataka: कर्नाटक कांग्रेस में बगावत, सिद्धारमैया को हटाने की मांग तेज

नई दिल्ली। कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बने अभी एक साल ही हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेंगलुरु दौरे के बीच, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के एक करीबी विधायक ने ऐसा दावा किया है जिससे पार्टी के भीतर भूचाल आ गया है। विधायक का कहना है कि 100 से अधिक विधायक मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को हटाकर डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।

डीके शिवकुमार के समर्थन में खुली बगावत

कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन ने खुलकर मुख्यमंत्री बदलने की मांग करते हुए डीके शिवकुमार का पक्ष लिया है। उन्होंने दावा किया, “यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत राय नहीं है, बल्कि 100 से ज्यादा विधायकों की भावना है। वे सभी नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं और इस पल का इंतजार कर रहे हैं।” हुसैन ने डीके शिवकुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत की है। जब से वे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष बने हैं, उन्होंने पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत किया है। उनके काम और नेतृत्व क्षमता के कारण ही विधायक और जनता उनके साथ खड़ी है। हुसैन का मानना है कि राज्य में बेहतर शासन के लिए शिवकुमार को मौका मिलना ही चाहिए।

“अभी बदलाव नहीं हुआ तो 2028 में हार तय”

इकबाल हुसैन ने अपनी बात को और मजबूती देते हुए एक चेतावनी भी जारी की। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी आलाकमान ने अभी नेतृत्व परिवर्तन का फैसला नहीं लिया, तो इसका खामियाजा कांग्रेस को 2028 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में स्पष्ट कहा, “अगर अब बदलाव नहीं हुआ, तो 2028 में कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। पार्टी के भविष्य और हित को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव इसी वक्त जरूरी है।” उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी यह मांग रणदीप सिंह सुरजेवाला के सामने होने वाली बैठक में प्रमुखता से उठाएंगे।

आलाकमान और सुरजेवाला का सधा हुआ रुख

इस पूरे मामले पर पार्टी आलाकमान ने सधा हुआ रुख अपनाया है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केवल आलाकमान ही कर सकता है। इस पर इकबाल हुसैन ने कहा, “हम कांग्रेस के अनुशासित सिपाही हैं और आलाकमान का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन हमें सच भी बोलना चाहिए।”

वहीं, कर्नाटक दौरे पर पहुंचे रणदीप सिंह सुरजेवाला ने नेतृत्व परिवर्तन की इन अटकलों को “कोरी कल्पना” बताकर खारिज कर दिया है। उन्होंने अपने दौरे को पूरी तरह से संगठनात्मक बताया और कहा कि इसका उद्देश्य पार्टी को मजबूत करना और विकास कार्यों की समीक्षा करना है। सुरजेवाला राज्य के विधायकों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं, ताकि उनकी समस्याओं और सुझावों को सुना जा सके। हालांकि, उनके इस दौरे का समय और विधायकों द्वारा खुलकर की जा रही मांग ने कर्नाटक कांग्रेस में चल रही खींचतान को उजागर कर दिया है। अब देखना यह होगा कि सुरजेवाला का यह दौरा इस अंदरूनी कलह को शांत कर पाता है या यह चिंगारी और भड़कती है।

 

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