Himachal: पशुपालन से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सीएम सुक्खू ने गिनाईं सरकार की उपलब्धियां

शिमला।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पशुपालन को ग्रामीण युवाओं के लिए घर-द्वार पर रोजगार का एक सशक्त जरिया बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र न केवल युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि प्रदेश के समग्र विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक जारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की पशुधन पर निर्भरता और अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को देखते हुए, उनकी सरकार ने पशुपालकों के हित में कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।

घर बैठे मिल रहा पशुओं को इलाज

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार पशुपालकों को उनके घर-द्वार पर ही उत्कृष्ट पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रही है। इसके लिए ‘मोबाइल वेटरनेरी यूनिट’ की स्थापना की गई है, जिसके तहत 44 विशेष चिकित्सा वाहन प्रदेशभर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं है; वे एक कॉल पर ही घर बैठे इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए एक विशेष टॉल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1962’ भी शुरू किया गया है। इस हेल्पलाइन पर अब तक पशु रोगों से संबंधित 18,723 और अन्य जानकारी से जुड़े 17,850 मामले प्राप्त हुए हैं, जो इसकी सफलता और उपयोगिता को दर्शाता है।

दूध पर MSP और बकरी के दूध की खरीद

अपनी एक बड़ी चुनावी गारंटी को पूरा करते हुए, प्रदेश सरकार ने पशुपालकों को गाय और भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में सरकार प्रतिदिन औसतन 38,400 पशुपालकों से 2 लाख 25 हजार लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर के आकर्षक समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। इसी प्रकार, प्रतिदिन औसतन 1482 पशुपालकों से 7800 लीटर भैंस का दूध 61 रुपये प्रति लीटर की दर से गुणवत्ता के आधार पर खरीदा जा रहा है।

सरकार ने एक और अभिनव पहल करते हुए पायलट आधार पर 70 रुपये प्रति लीटर की दर से बकरी के दूध की खरीद भी आरंभ की है, जिससे छोटे पशुपालकों को भी बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा।

अन्य कल्याणकारी योजनाएं

पशुपालकों को आर्थिक रूप से संबल प्रदान करने के लिए सरकार अन्य योजनाएं भी चला रही है। गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवनयापन कर रहे पशुपालकों को पौष्टिक पशु आहार पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है, जिसका लाभ अब तक 31 हजार पशुपालक उठा चुके हैं। इसके अलावा, प्रदेश में नई दुग्ध उपार्जन सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है, जिनमें अब तक 5166 नए किसानों को जोड़ा गया है ताकि दूध खरीद के नेटवर्क को और मजबूत किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी प्रयासों का उद्देश्य पशुपालन को एक सम्मानजनक और लाभदायक व्यवसाय बनाना है, जिससे हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आए।

 

Pls read:Himachal: हिमाचल में सियासी घमासान बढ़ा: BJP विधायक सुधीर शर्मा ने शिमला SP पर ठोका मानहानि का केस, खरीद-फरोख्त के आरोपों पर जताई आपत्ति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *