नई दिल्ली।
मध्य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है क्योंकि इजरायल ने ईरान पर एक बड़ा और लक्षित हमला किया है, जिसने ईरान के सैन्य और खुफिया तंत्र को हिलाकर रख दिया है। ईरानी सरकारी मीडिया ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि इस हमले में देश के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के खुफिया प्रमुख समेत तीन शीर्ष अधिकारी मारे गए हैं। इस घटना ने दोनों देशों के बीच दशकों से चली आ रही दुश्मनी को एक नए और खतरनाक मोड़ पर ला खड़ा किया है।
ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कोर से जुड़ी सरकारी समाचार एजेंसी ‘तस्नीम न्यूज’ के अनुसार, राजधानी तेहरान में हुए इस इजरायली हमले में IRGC के खुफिया प्रमुख, ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद काजमी, और उनके डिप्टी, हसन मोहाकिक, की मौत हो गई। हमले में एक तीसरे वरिष्ठ खुफिया अधिकारी, मोहसिन बाघेरी, भी मारे गए। एक ही हमले में अपने खुफिया तंत्र के इतने बड़े अधिकारियों को खोना ईरान के लिए एक बहुत बड़ा रणनीतिक झटका है। इस घटना से न केवल IRGC की क्षमता प्रभावित हुई है, बल्कि यह ईरान की आंतरिक सुरक्षा पर भी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है।
इस हमले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्लाह अली खामेनेई, को हमलों के तुरंत बाद एक सुरक्षित अंडरग्राउंड बंकर में ले जाया गया है। रिपोर्टों के अनुसार, खामेनेई अपने पूरे परिवार के साथ तेहरान के उत्तर-पूर्वी इलाके लवीजान में स्थित इस बंकर में मौजूद हैं। यह वही बंकर है जिसका इस्तेमाल उन्होंने अप्रैल 2024 और पिछले साल अक्टूबर में इजरायल के साथ बढ़े तनाव के दौरान भी किया था। सर्वोच्च नेता का बंकर में शरण लेना यह दर्शाता है कि ईरानी नेतृत्व इस हमले को अपनी सुरक्षा के लिए एक सीधे खतरे के रूप में देख रहा है।

इस बीच, यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर इजरायल इतना सटीक हमला कर सकता था, तो उसने सीधे खामेनेई को निशाना क्यों नहीं बनाया? ‘टाइम्स ऑफ इजरायल’ ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इजरायल ने जानबूझकर खामेनेई को निशाना नहीं बनाया। इसके पीछे का मकसद उन्हें यह संदेश देना और एक आखिरी मौका देना था कि वे अपने विवादास्पद यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को पूरी तरह से बंद कर दें। यह कदम दिखाता है कि इजरायल की रणनीति ईरानी नेतृत्व को खत्म करने से ज्यादा उसके परमाणु ambitions को रोकना है।
इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने भी हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने ईरान में हथियार बनाने की क्षमता को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं। IDF के बयान के मुताबिक, इन हमलों में IRGC, उसकी विदेशी ऑपरेशन शाखा ‘कुद्स फोर्स’, और ईरानी सेना के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया गया है। कई हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों को भी निशाना बनाया गया। इस हमले ने स्पष्ट कर दिया है कि इजरायल अब ईरान को उसकी धरती पर जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा, जिससे पूरे क्षेत्र में एक व्यापक युद्ध का खतरा मंडराने लगा है।
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