Uttarakhand: योग दिवस की तैयारियों में जुटा उत्तराखंड: मुख्य सचिव ने दिए निर्देश, भराड़ीसैंण और हरिद्वार में होंगे मुख्य आयोजन

देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 को यादगार बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने शुक्रवार को एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए संबंधित विभागों को सभी व्यवस्थाएं समय पर पूरी करने के कड़े निर्देश दिए। इस वर्ष योग दिवस का मुख्य आयोजन राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण) और विश्व प्रसिद्ध तीर्थनगरी हरिद्वार में प्रस्तावित है, जो योग की वैश्विक राजधानी के रूप में उत्तराखंड की पहचान को और मजबूत करेगा।

मुख्य सचिव ने आयोजन के नोडल विभाग, आयुष विभाग, तथा चमोली और हरिद्वार के जिला प्रशासनों को बेहतर समन्वय स्थापित कर काम करने को कहा ताकि किसी भी स्तर पर कोई कमी न रह जाए। उन्होंने कहा कि यह आयोजन उत्तराखंड की गरिमा के अनुरूप भव्य और सुव्यवस्थित होना चाहिए।

भराड़ीसैंण में योग प्रदर्शन, हरिद्वार में गंगा आरती

आगामी 21 जून को होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय कर ली गई है। ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में एक भव्य योग प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय लोगों और विभिन्न संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही, उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

वहीं, हरिद्वार में देश-विदेश से आने वाले अतिथियों और प्रतिनिधियों (डेलीगेट्स) के लिए विशेष बैठकें आयोजित की जाएंगी। दिन का समापन विश्व प्रसिद्ध हर की पौड़ी पर भव्य गंगा आरती के साथ होगा, जिसमें सभी अतिथि सम्मिलित होंगे। यह कदम उत्तराखंड को योग और अध्यात्म के एक प्रमुख वैश्विक केंद्र के रूप में प्रस्तुत करने की सरकार की रणनीति का हिस्सा है। मुख्य सचिव ने दोनों स्थानों पर सुरक्षा, यातायात, स्वच्छता और अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाओं को पुख्ता करने के निर्देश दिए।


उत्तराखंड में हर्बल क्रांति की नई दिशा: अब ग्राम पंचायतें करेंगी जड़ी-बूटियों की खेती, मार्केटिंग और ट्रेनिंग पर भी जोर

देहरादून। उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा करने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में हुई ‘हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट’ की राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब मैदानी जिलों में ग्राम पंचायतों के माध्यम से जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

मुख्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में जड़ी-बूटी उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं, लेकिन वहां वन पंचायतों का अस्तित्व न होने के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया, “इन जनपदों में ग्राम पंचायत के माध्यम से जड़ी-बूटी का उत्पादन प्रारंभ करें, ताकि वहां के किसान भी इस लाभकारी योजना से जुड़ सकें।” इसके अतिरिक्त, उन्होंने कैंपा फंड के माध्यम से निजी भूमि पर भी हर्बल उत्पादन की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए।

तकनीक, ट्रेनिंग और मार्केटिंग पर फोकस

मुख्य सचिव ने योजना को आधुनिक और प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने हर्बल उत्पादन से संबंधित सभी डाटा की GIS मैपिंग करने और आंकड़ों का पूरी तरह से डिजिटलीकरण करने को कहा, ताकि योजना की प्रगति की सटीक निगरानी हो सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि हर्बल उत्पादन से जुड़ी सभी गतिविधियों का फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी (FDA) से परीक्षण कराया जाए।

स्थानीय लोगों की क्षमता विकास पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “जड़ी-बूटी उत्पादन से जुड़े लोगों के लिए ऊंचाई के अनुसार (एल्टीट्यूड वाइज) प्रशिक्षण दस्तावेज तैयार करें।” उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिए कि वर्तमान में उपलब्ध विभिन्न वन उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग और वैल्यू एडिंग की जाए, ताकि उसे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और लोगों की आजीविका का मजबूत आधार बनाया जा सके।

अंत में, मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया, “जड़ी-बूटी उत्पादन स्थानीय अर्थव्यवस्था के उत्थान और स्थानीय लोगों की जीविका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए सभी विभाग इस योजना को पूरी गंभीरता से लागू करें।”

 

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