Himachal: हिमाचल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती: ऊना में 20 करोड़ से लगेगा आलू प्लांट, मिलेगा समर्थन मूल्य

शिमला: हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से एक आलू प्रसंस्करण संयंत्र (Potato Processing Plant) स्थापित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए जल्द ही आलू का समर्थन मूल्य भी घोषित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री आज यहां हिमाचल प्रदेश रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर नेटवर्क द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बहु-हितधारक परामर्श सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हरित ऊर्जा और प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पहले ही तय कर दिया गया है और आने वाले समय में इसे और बढ़ाया जाएगा। प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अगले वर्ष कई नई योजनाएं लागू की जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बढ़ते कैंसर के मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के बाद, कैंसर के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि हिमाचल प्रदेश में देखी गई है।” उन्होंने कहा कि सरकार इसके मूल कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रही है और भोजन की आदतों में बदलाव भी इसका एक मुख्य कारण हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की 80 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और यह हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 14 प्रतिशत का योगदान करती है। उन्होंने मौसम के बदलते मिजाज पर भी चिंता व्यक्त की, जो कृषि क्षेत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस चुनौती का सामना जलवायु सहिष्णु कृषि, दालों को बढ़ावा देने, व्यापक पशुपालन, पारंपरिक बीजों के अधिक उपयोग, जल सुरक्षा और मृदा संरक्षण पर जोर देने जैसे कदम उठाकर प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक बीज और प्राकृतिक खेती से उगाई जाने वाली फसलें पोषण से भरपूर होती हैं और उन्हें पानी की भी कम आवश्यकता होती है। हमें ऐसी पारंपरिक फसलों का फिर से उपयोग करने की जरूरत है और आने वाली पीढ़ियों को पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान के माध्यम से इन्हें और बेहतर बनाना होगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती में लगे किसानों की सराहना की और कृषि की इस प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का भी विस्तृत ब्यौरा दिया।

पद्मश्री नेक राम शर्मा ने मुख्यमंत्री को सम्मेलन के बारे में जानकारी दी और जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के साथ-साथ मोटे अनाज (मिलेट्स) के महत्व पर भी चर्चा की। इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, पद्मश्री हरीमन, कृषि विशेषज्ञ डॉ. सब्यसाची दास, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, हितधारक और कृषि विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

 

Pls read:Himachal: हिमाचल में अवैध शराब पर बड़ी कार्रवाई: 103 मामले दर्ज, सोलन-सिरमौर में FIR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *