नई दिल्ली: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की दसवीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में भाग लिया। बैठक में इस वर्ष के विषय “विकसित राज्य विकसित भारत @2047” पर चर्चा हुई, जिसमें विकास की चुनौतियों और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
मुख्यमंत्री ने पहाड़ी राज्यों की विशेष आवश्यकताओं पर ज़ोर देते हुए कहा कि विभिन्न योजनाओं में पात्रता मानदंडों में ढील देकर उन्हें अधिक धन आवंटित किया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र से लंबित बकाया राशि को जारी करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र समय पर लंबित राशि जारी करता है, तो हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर बन सकता है।
पर्यटन को बढ़ावा देने पर ज़ोर
मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश को देश के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के राज्य सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक पैकेज पर विचार कर रही है, जिसमें धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन, जल पर्यटन, प्रकृति पर्यटन और स्वास्थ्य पर्यटन को एकीकृत किया जाएगा। इससे देश और विदेश से सभी प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार भी किया जा रहा है ताकि बड़े विमानों की लैंडिंग हो सके, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
जलविद्युत परियोजनाओं में राज्य के अधिकारों की मांग
मुख्यमंत्री ने जलविद्युत परियोजनाओं में राज्य के अधिकारों का मुद्दा उठाया और 40 साल पूरे कर चुके सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के तहत परियोजनाओं को मुफ्त रॉयल्टी और राज्य को सौंपने की मांग की। उन्होंने राज्य सरकार की ऊर्जा नीति के अनुरूप रॉयल्टी का मामला भी उठाया। इस नीति के अनुसार, बिजली परियोजनाओं में पहले 12 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत, अगले 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत और उसके बाद 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां पहले से ही इस नीति का पालन करती हैं और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को भी इसका पालन करना चाहिए।
ग्रीन बोनस की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उत्तर भारत का फेफड़ा है और हरित आवरण को बनाए रखने में राज्य का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल प्रदेश को ग्रीन एनर्जी राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में हिमाचल प्रदेश देश में हरित हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी राज्य बन जाएगा। सोलन जिले में ऑयल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से एक मेगावाट क्षमता का हरित हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित किया जा रहा है।
बैठक में उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल विकास और स्थायी रोजगार के अवसरों पर भी विचार-विमर्श किया गया। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना और मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर भी मुख्यमंत्री के साथ थे।