आगरा: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन पर हुए दूसरे हमले के बाद राज्य में जातीय ध्रुवीकरण बढ़ने की आशंका है। करणी सेना के समर्थन में क्षत्रिय संगठन एकजुट हो रहे हैं, जबकि सपा इस हमले को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर सकती है।
राज्यसभा में राणा सांगा पर सुमन की टिप्पणी के बाद शुरू हुआ सियासी घमासान एक महीने से जारी है। इस दौरान उन पर दो बार हमला हो चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महापुरुषों के अपमान के मुद्दे पर सपा पर हमलावर हैं, जबकि अखिलेश यादव इसे सरकार की साजिश बता रहे हैं।
करणी सेना के ओकेंद्र राणा ने हमले की जिम्मेदारी ली है और सपा को सफा करने की बात कही है। वहीं, अनुसूचित जाति और अन्य संगठनों ने हमले की निंदा की है और इसे कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। सपा इस मुद्दे को 2027 के चुनाव में भुनाने की फिराक में है और पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोटरों को साधने की कोशिश में है।
अखिलेश यादव ने पहले हमले के बाद आगरा को सामाजिक न्याय की राजधानी बनाने की बात कही थी। ऐसे में अब सियासी टकराव तेज होने के आसार हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि हिंसा का समर्थन कहीं भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि यह हमला वास्तविक था या प्रायोजित, क्योंकि सुमन के काफिले में कई कार्यकर्ता मौजूद थे। अगर यह हमला सच में हुआ है, तो यह निंदनीय है और पुलिस को इसकी जांच करके कार्रवाई करनी चाहिए।