पटियाला: पंजाब में छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, अब हर साल सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के नमूनों की जांच करनी होगी। यह जांच जिले की मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला या भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से हर साल पहले तीन महीनों में करवानी होगी। इस पर आने वाला खर्च मिड डे मील सोसाइटी वहन करेगी।
इसके अलावा, ब्लॉक स्तर पर कुकिंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी, जिसमें विजेता कुक को 1,000 रुपये से 3,000 रुपये तक का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसका उद्देश्य मिड डे मील की गुणवत्ता में सुधार लाना और बच्चों के स्वाद के अनुसार नई और रोचक व्यंजन तैयार करना है, ताकि बच्चे एक ही तरह का खाना खाकर ऊब न जाएं।
पंजाब स्टेट मिड डे मील सोसाइटी ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है। आदेशों में कहा गया है कि पीएम पोषण स्कीम के प्लानिंग अप्रूवल बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया है।
ब्लॉक स्तर पर जीतने वाले कुक का जिला स्तर पर और फिर राज्य स्तर पर मुकाबला होगा। यह प्रतियोगिता मौजूदा मिड डे मील मेनू के अनुसार ही होगी। उदाहरण के लिए, चावल या गेहूं से बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कोई नया व्यंजन तैयार किया जा सकता है। विजेता व्यंजन को उच्च अधिकारियों से अनुमोदित करवाकर स्कूलों में लागू किया जाएगा।
इसके अलावा, विशेष अवसरों, त्योहारों आदि पर गांव के सरपंच, दानदाताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को स्कूलों में आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें विशेष भोजन, फल या मिठाई परोसी जाएगी। इससे ग्रामीण मिड डे मील की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगे और उनका विश्वास बढ़ेगा।
जिला शिक्षा अधिकारी संजीव शर्मा ने कहा कि इससे खाने की गुणवत्ता में सुधार होगा और ग्रामीणों का मिड डे मील और सरकारी स्कूलों में विश्वास बढ़ेगा। स्कूलों को नए आदेशों से अवगत करा दिया गया है।
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