कोटद्वार: कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत कण्वाश्रम में उरेडा की दो 50-50 किलोवाट की जलविद्युत परियोजनाएं सरकारी अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील हो गई हैं. उत्तर प्रदेश शासनकाल में आईआईटी रुड़की के सहयोग से बनी इन परियोजनाओं का संचालन उत्तराखंड राज्य गठन के बाद उरेडा को सौंपा गया था.
उरेडा ने परियोजनाओं का संचालन एक निजी एजेंसी को दे दिया. 2003 में तकनीकी खराबी के कारण उत्पादन बंद हो गया. 2014-15 में उरेडा ने लगभग दो लाख रुपये खर्च कर मशीनों की मरम्मत, मशीन कक्ष का जीर्णोद्धार और विद्युत पोल लगाने का काम पूरा किया. परियोजनाओं से उत्पादित बिजली को ऊर्जा निगम के सब-स्टेशन में भेजने और मीटर रीडिंग के आधार पर भुगतान करने की योजना थी.
2016 में दो कंट्रोल पैनल खराब हो गए. मरम्मत के लिए पैनल दिल्ली भेजे गए, लेकिन वहां भी काम नहीं बन पाया. नए कंट्रोल पैनल खरीदने के लिए शासन से धनराशि नहीं मिली. समय के साथ मशीनें खराब होती गईं और परियोजनाएं खंडहर में तब्दील हो गईं.
उरेडा के अवर अभियंता एलपी सकलानी ने बताया कि परियोजना का संचालन निजी एजेंसी के माध्यम से हो रहा था. संचालक ने मशीनों की मरम्मत न कराकर संचालन बंद कर दिया. करीब एक दशक पहले विभाग ने मरम्मत कराकर योजना शुरू की, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण फिर से बंद हो गई. सरकारी अनदेखी के कारण करोड़ों रुपये की परियोजनाएं बर्बाद हो गईं.