नई दिल्ली: भारतीय थलसेना और वायुसेना की ताकत में जल्द ही इज़ाफा होने वाला है। दोनों सेनाओं को 800 किमी से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें मिलेंगी। इससे रक्षा बलों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
250 मिसाइलों की खरीद को मिली मंजूरी:
रक्षा सूत्रों के अनुसार, लगभग 250 ब्रह्मोस मिसाइलों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने मंजूरी दे दी है। अब इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
रेगिस्तान और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होगी तैनाती:
इन मिसाइलों को रेगिस्तान और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। पहले ब्रह्मोस मिसाइलों की मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर थी, जिसे अब बढ़ाकर 800 किलोमीटर कर दिया गया है।
नौसेना के ऑर्डर का ही दोहराव:
सूत्रों के अनुसार, थलसेना और वायुसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों का यह प्रस्ताव, भारतीय नौसेना को मिलने वाली मिसाइलों के ऑर्डर का ही दोहराव है।
ब्रह्मोस: एक सफल संयुक्त उपक्रम:
ब्रह्मोस भारत और रूस का एक संयुक्त उपक्रम है और भारतीय शस्त्र निर्माण उद्योग में सबसे सफल उपक्रमों में से एक माना जाता है, हालांकि इसके अधिकांश हिस्से रूस में निर्मित होते हैं।
स्वदेशीकरण की दिशा में प्रयास:
भारत, इस मिसाइल के प्रमुख भागों के स्वदेशीकरण की दिशा में प्रयास कर रहा है और निजी क्षेत्र के सहयोग से इसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली है।
निर्यात में सफलता:
रूस के सहयोग से ब्रह्मोस मिसाइलों का फिलीपींस को सफलतापूर्वक निर्यात किया जा रहा है और कई अन्य देश भी इन मिसाइलों में रुचि दिखा रहे हैं।
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