
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में चीन के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका द्वारा चीनी आयात पर 10% टैरिफ लगाने के बाद अब पनामा ने भी चीन को बड़ा झटका दिया है। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने घोषणा की है कि उनका देश चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड (BRI) परियोजना का नवीनीकरण नहीं करेगा।
2017 में इस परियोजना में शामिल होने वाला पनामा अब इससे अलग हो रहा है। माना जा रहा है कि यह फैसला राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पनामा पर बनाए जा रहे दबाव का नतीजा है। ट्रंप का आरोप है कि पनामा नहर से गुजरने वाले चीनी जहाजों पर अमेरिकी जहाजों की तुलना में कम कर लगाया जाता है।
पनामा अब अमेरिका के साथ मिलकर करेगा काम:
राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि पनामा अब बुनियादी ढांचा परियोजनाओं सहित नए निवेशों पर अमेरिका के साथ सहयोग करेगा। उन्होंने पनामा पोर्ट्स कंपनी के ऑडिट की भी घोषणा की है। यह फैसला अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ उनकी रविवार को हुई बैठक के बाद आया है।

अमेरिका ने दी चेतावनी:
रुबियो ने मुलिनो को ट्रंप का संदेश दिया कि पनामा नहर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति 1999 की उस संधि का उल्लंघन है, जिसके तहत अमेरिका ने नहर का नियंत्रण पनामा को सौंपा था। यह संधि नहर की स्थायी तटस्थता सुनिश्चित करती है। रुबियो ने पनामा को चेतावनी दी कि चीन के ‘प्रभाव और नियंत्रण’ को कम करने के लिए ‘तत्काल कदम’ उठाए जाएं, अन्यथा अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए कार्रवाई करेगा।
पनामा नहर का महत्व:
82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ती है, जिससे जहाजों के यात्रा समय में काफी कमी आती है। इस नहर का निर्माण कोलंबिया, फ्रांस और अंततः अमेरिका द्वारा पूरा किया गया। 1914 में खुलने के बाद 1999 में इसका नियंत्रण पनामा को सौंप दिया गया। नहर से प्राप्त राजस्व पनामा की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
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