
शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार से नए कोटे के तहत मिलने वाले IAS और IPS अधिकारियों को लेने से इनकार कर दिया है। व्यवस्था परिवर्तन का नारा देने वाली सरकार का कहना है कि राज्य पर पहले से ही भारी कर्ज है और नए अधिकारियों को लेने से खर्चों में और बढ़ोतरी होगी।
केंद्र सरकार का कार्मिक विभाग हर साल राज्यों से उनकी ज़रूरत के अनुसार IAS और IPS अधिकारियों की संख्या पूछता है और उसी आधार पर उन्हें अधिकारी आवंटित किए जाते हैं। इस बार भी यह प्रक्रिया चली थी, लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस फाइल को निरस्त कर दिया।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी ऐसी ही पहल की थी, लेकिन अफसरशाही के दबाव के कारण उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। हालांकि, मुख्यमंत्री सुक्खू ने बिना किसी दबाव के यह फैसला लिया है, जो अफसरशाही को रास नहीं आ रहा है।

राज्य पर इस समय एक लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज है। इसलिए सरकार नए वित्तीय संसाधन जुटाने के साथ-साथ खर्चों में कटौती पर भी ध्यान दे रही है। सरकार का मानना है कि ऊपरी स्तर पर अधिकारियों की संख्या कम करने से खर्चों में कमी आएगी और अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा पर होने वाले अतिरिक्त खर्च से बचा जा सकेगा।
हिमाचल प्रदेश ऋण लेने के मामले में देश में पांचवें स्थान पर पहुँच गया है। इस कारण राज्य में हर नवजात शिशु पर 1,03,000 रुपये का कर्ज है। जबकि भाजपा सरकार के कार्यकाल की शुरुआत में यह आंकड़ा 76,630 रुपये था। यह दर्शाता है कि राज्य के कर्ज में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए सरकार खर्चों में कटौती के लिए ऐसे कदम उठा रही है।
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