नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने ब्रिटेन की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट के जरिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और लेबर पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मस्क के आरोपों से ब्रिटेन में चाइल्ड ग्रूमिंग गैंग का मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है और मामले की नए सिरे से जांच की मांग उठ रही है।
स्टार्मर पर लापरवाही का आरोप:
मस्क ने आरोप लगाया कि स्टार्मर अपने पब्लिक प्रोसेक्यूशन हेड के कार्यकाल के दौरान ग्रूमिंग गैंग के मामलों पर ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि स्टार्मर ने रेप गैंग को बख्शा, जिससे वे कमजोर लड़कियों का शोषण करते रहे। मस्क ने इसे सरकारी तंत्र की विफलता बताया और कहा कि स्टार्मर के नेतृत्व वाली क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस पीड़ितों को न्याय दिलाने में असफल रही। उन्होंने लोगों से अदालती दस्तावेज़ पढ़ने का आग्रह किया ताकि उन्हें मामले की गंभीरता का पता चल सके।
मंत्री पर भी निशाना:
मस्क ने ब्रिटिश गृह मंत्रालय के मंत्री जेस फिलिप पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि फिलिप ने ओल्डहैम में हुए कथित ग्रूमिंग स्कैंडल की सार्वजनिक जांच की मांग को खारिज करके स्टार्मर को बचाने की कोशिश की। मस्क ने फिलिप के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह सिस्टम की नाकामी को छिपाने की कोशिश थी। उन्होंने फिलिप को “बलात्कार नरसंहार समर्थक” तक कह दिया।
नई जांच की मांग:
मस्क ने इस मामले की राष्ट्रीय स्तर पर नई जांच की मांग की है और कहा कि लेबर पार्टी को जल्द आम चुनाव कराने चाहिए।
लेबर पार्टी ने आरोपों को खारिज किया:
लेबर पार्टी ने मस्क के आरोपों को खारिज कर दिया है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव वेस स्ट्रीटिंग ने इसे “गलत जानकारी” बताया। स्टार्मर के बचाव में कहा गया कि 2013 में डीपीपी रहते हुए उन्होंने बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए नए दिशानिर्देश बनाए थे।
ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल:
ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल ब्रिटेन के लिए एक विवादित मुद्दा है। रोदरहैम, रोचडेल और टेलफोर्ड जैसे शहरों में जांच के बाद बच्चों के यौन शोषण के बड़े मामले सामने आए थे, जिनमें मुख्य रूप से पाकिस्तानी मूल के लोग शामिल थे। आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों और जांच एजेंसियों ने नस्लवादी होने के डर से इन मामलों को नज़रअंदाज़ किया या कम करके आंका। 2022 में ओल्डहैम में हुई जांच में कई खामियां पाई गईं, लेकिन संगठित शोषण के सबूत नहीं मिले। इस मामले में आवाज उठाने वाले दक्षिणपंथी नेताओं टॉमी रॉबिन्सन और निगेल फराज को आप्रवास विरोधी भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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