Himachal: रोहड़ू में भूंडा महायज्ञ का बेड़ा पार, 39 साल बाद हुआ आयोजन – The Hill News

Himachal: रोहड़ू में भूंडा महायज्ञ का बेड़ा पार, 39 साल बाद हुआ आयोजन

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रोहडू (शिमला)। शिमला जिले के रोहड़ू के दलगांव में चल रहे भूंडा महायज्ञ में शनिवार को बेड़ा पार की रस्म पूरी हुई। 39 साल बाद हो रहे इस आयोजन में आस्था का सैलाब उमड़ा। हजारों लोगों ने इस रस्म को देखा और खुशी मनाई। स्पैल घाटी के दलगांव में स्थित देवता बकरालू महाराज के मंदिर में यह महायज्ञ आयोजित किया जा रहा है।

रस्सी टूटने से बदली योजना:

शनिवार सुबह बेड़ा पार की रस्म से पहले रस्सी (बरुत) टूट गई, जिससे 100 मीटर की दूरी घटाकर 60 फीट करनी पड़ी। रस्सी टूटने से लोगों में निराशा फैल गई थी, लेकिन मंदिर कमेटी ने तुरंत फैसला लेकर 60 फीट की खाई पर बेड़ा पार करने का निर्णय लिया।

शाम को हुई रस्म:

दोपहर तीन बजे होने वाली रस्म शाम छह बजे के बाद शुरू हुई। 70 वर्षीय सूरत राम को समरैई क्षेत्र के महेश्वर देवता की पालकी (जमैणी) पर बिठाकर रस्सी तक पहुँचाया गया। बेड़ा पार करते ही देवलुओं ने नाच-गाकर जश्न मनाया। सूरत राम को फिर पालकी में बिठाकर बकरालू देवता के मंदिर ले जाया गया। हजारों लोगों ने इस दृश्य का आनंद लिया और देवलुओं ने रात भर पहाड़ी नृत्य किया।

100 करोड़ का खर्च:

इस महायज्ञ की तैयारियों में लोग महीनों से जुटे थे। लोगों के सहयोग से इस आयोजन पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

नौवीं बार बेड़ा पार:

70 वर्षीय सूरत राम ने नौवीं बार बेड़ा पार किया। उन्हें मेजबान देवता बकरालू महाराज और मेहमान देवता बौंद्रा व महेश्वर के आशीर्वाद से अग्निपरीक्षा में सफल माना गया। रस्म के बाद लोगों ने सूरत राम को पैसे, सोना और चांदी भेंट किए।

ठाकुरों ने निभाई परंपरा:

परंपरा के अनुसार, रस्सी पर बेड़ा बांधने की ज़िम्मेदारी मंडलगढ़ क्षेत्र के बज्रेटकोटी के ठाकुरों ने निभाई। उनके द्वारा बांधी गई तीन गांठें बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

 

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