Uttarakhand: नैनीताल में भूस्खलन के कारणों की होगी वैज्ञानिक जांच, छह महीने चलेगा सर्वे – The Hill News

Uttarakhand: नैनीताल में भूस्खलन के कारणों की होगी वैज्ञानिक जांच, छह महीने चलेगा सर्वे

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नैनीताल: उत्तराखंड के खूबसूरत शहर नैनीताल पर मंडरा रहे भूस्खलन के खतरे से निपटने के लिए अब वैज्ञानिक कदम उठाए जा रहे हैं। शहर में बढ़ते भूस्खलन के कारणों की जांच और समाधान के लिए शासन ने उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र (ULMMC) के विशेषज्ञों को जिम्मेदारी सौंपी है। अगले छह महीनों तक विशेषज्ञ विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर अध्ययन करेंगे और शहर के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का पूरा रिपोर्ट कार्ड तैयार करेंगे।

नैनीताल शहर की तलहटी में स्थित बलियानाला से लेकर शहर की सबसे ऊँची चोटी चाइना पीक तक, भूस्खलन का खतरा हर जगह मंडरा रहा है। टिफिन टॉप, राजभवन मार्ग, ठंडी सड़क, कैलाखान क्षेत्र और आबादी वाले चार्टन लाज क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन ने शहर के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा दिया है।

हालांकि जिला प्रशासन और जिला आपदा विभाग भूस्खलन रोकथाम के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बढ़ती समस्या को देखते हुए अब ULMMC द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाएगा।

वैज्ञानिक विधियों से होगा सर्वेक्षण

ULMMC के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक विधियों से अगले छह महीने तक शहर का सर्वेक्षण किया जाएगा। इस दौरान शहर की कंटूर मैपिंग के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण डेटा भी एकत्रित किया जाएगा।

टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल सर्वे

डॉ. सरकार के अनुसार, विषय विशेषज्ञ नैनीताल का टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल सर्वे करेंगे। टोपोग्राफिक सर्वे में शहर के समतल, ढलान वाले क्षेत्रों, सड़कों और भवनों का डेटा एकत्रित कर कंटूर मैपिंग की जाएगी। जियोटेक्निकल सर्वे में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की भूमिगत जांच की जाएगी। मिट्टी और चट्टानों के नमूने लेकर उनकी मजबूती की जांच की जाएगी।

भूस्खलन रोकथाम और भविष्य की योजनाओं में मिलेगी मदद

डॉ. सरकार ने बताया कि छह महीने के सर्वेक्षण से शहर की भौगोलिक और भूगर्भीय स्थितियों का सटीक पता चल सकेगा। संकलित डेटा के आधार पर भूस्खलन रोकथाम के लिए उपाय और योजनाएँ बनाई जा सकेंगी। सर्वेक्षण रिपोर्ट को अन्य विभागों के साथ भी साझा किया जाएगा ताकि भविष्य में निर्माण कार्य और अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में इसका उपयोग किया जा सके।

यह वैज्ञानिक सर्वेक्षण नैनीताल शहर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भूस्खलन के कारणों का पता चलेगा, बल्कि भविष्य में इस समस्या से निपटने के लिए ठोस और वैज्ञानिक रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी। इससे शहर के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को कम करने में मदद मिलेगी और नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता को बचाया जा सकेगा।

 

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