Special: डिजिटल अरेस्ट: कैसे बचें साइबर ठगों के जाल से? दस भयावह मामले – The Hill News

Special: डिजिटल अरेस्ट: कैसे बचें साइबर ठगों के जाल से? दस भयावह मामले

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नई दिल्ली: देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। साइबर अपराधी इतने कुशलता से जाल बिछाते हैं कि पढ़े-लिखे और जागरूक लोग भी उनके शिकार हो रहे हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, इस साल सितंबर तक साइबर ठगों ने 11,333 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। हालांकि, असली आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने का अनुमान है। छात्रों से लेकर बुजुर्गों, गृहिणियों से लेकर कामकाजी महिलाओं, किसानों से लेकर आईटी पेशेवरों तक, कोई भी इस जाल से अछूता नहीं है। आइए, ऐसे दस मामलों पर नज़र डालते हैं जो आपके लिए सबक बन सकते हैं:

केस 1: 77 वर्षीय महिला से 3.8 करोड़ रुपये की ठगी

मुंबई की एक 77 वर्षीय महिला को एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बताया और कहा कि महिला द्वारा ताइवान भेजे गए पार्सल में ड्रग्स, पासपोर्ट और बैंक कार्ड मिले हैं। महिला ने पार्सल भेजने से इनकार किया तो उसे फर्जी मुंबई पुलिस अधिकारी से बात कराई गई। इसके बाद, स्काइप पर वीडियो कॉल के माध्यम से ‘पूछताछ’ की गई। ठगों ने महिला का भरोसा जीतने के लिए पहले 15 लाख रुपये वापस भी कर दिए। हालांकि, बाद में महिला से उसके पति के साथ संयुक्त खाते का सारा पैसा, लगभग 3.8 करोड़ रुपये, विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिया गया। महिला को तब शक हुआ जब ठगों ने टैक्स के नाम पर और पैसे मांगे। उसने अपनी बेटी को फोन किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत के बाद संबंधित बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया।

केस 2: रिटायर्ड शिप कैप्टन से 11.16 करोड़ रुपये की ठगी

मुंबई के एक 75 वर्षीय रिटायर्ड शिप कैप्टन को शेयर मार्केट में उच्च रिटर्न का झांसा देकर 11.16 करोड़ रुपये की ठगी की गई। ठगों ने बुजुर्ग को ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट अकाउंट में शुरूआती मुनाफा दिखाया। लेकिन, जब बुजुर्ग ने पैसे निकालने की कोशिश की तो 20 प्रतिशत सर्विस टैक्स देने की बात कही गई। 22 बार में 11 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने के बाद बुजुर्ग को धोखाधड़ी का पता चला। पुलिस ने इस मामले में एक हिस्ट्रीशीटर को गिरफ्तार किया है।

केस 3: लखनऊ की डॉक्टर से 2.81 करोड़ रुपये की ठगी

लखनऊ की एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर को TRAI अधिकारी बनकर फोन किया गया और मुंबई पुलिस में शिकायत मिलने की बात कही गई। इसके बाद फर्जी IPS अधिकारी और CBI अधिकारी से बात कराई गई और 7 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसने की बात कही गई। सात दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 2.81 करोड़ रुपये की ठगी की गई।

केस 4: वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन से 7 करोड़ रुपये की ठगी

वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन एसपी ओसवाल को सीबीआई अधिकारी बनकर फोन किया गया। वीडियो कॉल के दौरान ठगों ने पुलिस स्टेशन जैसा माहौल बनाया और सुप्रीम कोर्ट के फर्जी एडवोकेट और फर्जी जज से बात कराई। नकली कोर्ट ऑर्डर दिखाकर 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए गए। हालांकि, पुलिस ने बाद में 5.25 करोड़ रुपये की रिकवरी की।

केस 5: रिटायर्ड इंजीनियर से 10.30 करोड़ रुपये की ठगी

दिल्ली के एक 72 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर को प्रतिबंधित दवाएं भेजने के नाम पर डराया-धमकाया गया और 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 10.30 करोड़ रुपये की ठगी की गई। बेटा-बेटी को भी जेल भेजने की धमकी दी गई।

केस 6: छात्र ने आत्महत्या की

छत्तीसगढ़ के एक नाबालिग छात्र को अश्लील वीडियो देखने और शेयर करने के आरोप में फंसाकर पैसे मांगे गए। डर के मारे छात्र ने आत्महत्या कर ली।

केस 7: महिला इंजीनियर से 20 लाख रुपये की ठगी

नोएडा की एक महिला आईटी इंजीनियर को ईरान भेजे गए पार्सल में ड्रग्स मिलने की बात कहकर 20 लाख रुपये की ठगी की गई। जेल जाने के डर से महिला ने इंस्टेंट लोन लेकर पैसे ट्रांसफर किए।

केस 8: वकील से 70 हजार रुपये की ठगी

मध्य प्रदेश के एक वकील को बेटे के रेप के आरोप में गिरफ्तार होने की बात कहकर 70 हजार रुपये की ठगी की गई।

केस 9: सेवानिवृत्त प्रोफेसर से 3.07 करोड़ रुपये की ठगी

पटना की एक सेवानिवृत्त महिला प्रोफेसर को 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 3.07 करोड़ रुपये की ठगी की गई।

केस 10: महिला डॉक्टर से 59 लाख रुपये की ठगी

नोएडा की एक 40 वर्षीय महिला डॉक्टर को पोर्न देखने और शेयर करने के आरोप में फंसाकर 59 लाख रुपये की ठगी की गई।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट एक साइबर फ्रॉड है जिसमें ठग पुलिस, सीबीआई, TRAI, आदि के अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिए लोगों को डरा-धमकाकर पैसे वसूलते हैं। वे फर्जी आरोप लगाते हैं और वीडियो कॉल के दौरान पुलिस स्टेशन जैसा माहौल बनाकर पीड़ितों को धोखा देते हैं।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

  • अनजान नंबरों से आने वाली कॉलों से सावधान रहें।

  • पुलिस या अन्य सरकारी अधिकारी कभी भी वीडियो कॉल पर पहचान नहीं बताएंगे या ऐप डाउनलोड करने को नहीं कहेंगे।

  • पहचान पत्र, FIR की कॉपी, और अरेस्ट वारंट ऑनलाइन नहीं भेजे जाते हैं।

  • पुलिस कभी भी कॉल पर निजी जानकारी नहीं मांगेगी या परिवार से बात करने से नहीं रोकेगी।

  • अगर कोई संदिग्ध कॉल आती है तो तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें।

ये मामले साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करते हैं। जागरूकता और सावधानी ही इस जाल से बचने का सबसे कारगर तरीका है।

 

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