Uttarakhand: अमित शाह का LBSNAA में संबोधन, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सिविल सेवकों की भूमिका अहम – The Hill News

Uttarakhand: अमित शाह का LBSNAA में संबोधन, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सिविल सेवकों की भूमिका अहम

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवा सिविल सेवकों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने में अपनी अहम भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 2047 में देश की आज़ादी के शताब्दी वर्ष में भारत विश्व में हर क्षेत्र में अग्रणी होगा, और इस लक्ष्य की प्राप्ति में अगले 25 वर्षों में युवा अधिकारियों का योगदान महत्वपूर्ण होगा। श्री शाह ने इस मिशन की सफलता के लिए 140 करोड़ देशवासियों के एकजुट प्रयासों पर ज़ोर दिया।

गृह मंत्री ने कहा कि विकसित भारत का निर्माण केवल शीर्ष स्थान प्राप्त करने से नहीं होगा, बल्कि यह तभी संभव होगा जब सभी 140 करोड़ देशवासियों को समान अवसर मिले और वे आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सकें। उन्होंने सिविल सेवकों को ‘स्व से पर’ अर्थात दूसरों के बारे में सोचने का आह्वान किया और कहा कि उन्हें लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने डेटा एकत्रीकरण और AI के उपयोग पर ज़ोर देते हुए कहा कि छोटे-छोटे प्रयोगों से देश का विकास होगा। विकास को आंकड़ों से नहीं, बल्कि परिणामों से मापा जाएगा, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया।

श्री शाह ने प्रधानमंत्री मोदी की ‘Whole of Government approach’ की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य अलग-थलग प्रयासों से सफल नहीं हो सकता, इसलिए सभी सरकारी विभागों के समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। सामाजिक समरसता के लिए भी इसी दृष्टिकोण की आवश्यकता है क्योंकि जब तक सभी को समान अवसर नहीं मिलेंगे, देश तरक्की नहीं कर सकता।

दीक्षांत समारोह में 38% महिला अधिकारियों की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि जब तक देश की 50% आबादी नीति निर्माण में शामिल नहीं होगी, प्रधानमंत्री मोदी का ‘Women-led Development’ का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार नीति बनाती है, लेकिन उस पर अमल करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने अधिकारियों से नीतियों को संवेदनशीलता और स्पिरिट के साथ लागू करने का आग्रह किया।

श्री अमित शाह ने कहा कि अधिकारियों को सरकार को प्रतिक्रियावादी (Reactive) नहीं, बल्कि सक्रिय (Pro-Active) बनाना है। विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना और हर घर में मूलभूत सुविधाएँ सुनिश्चित करना उनकी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सफलता उसी को मिलती है जिसके अंदर सीखने की भावना बनी रहती है।

उन्होंने GST और Make in India को सफलता की मिसाल देते हुए कहा कि ये कार्यक्रम देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का भी उन्होंने उल्लेख किया। नई शिक्षा नीति से युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाने पर भी उन्होंने ज़ोर दिया।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद को कम करने में हुई प्रगति का जिक्र करते हुए श्री शाह ने कहा कि 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह से उन्मूलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के नागरिक होने का आत्मविश्वास और अपनी विरासत का गर्व ही देश को महान बना सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकास भी, विरासत भी’ के नारे को उन्होंने दोहराया।

मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनसे न्याय प्रणाली में तेज़ी आएगी और दोष सिद्धि दर बढ़ेगी। उन्होंने ‘चिंता’ की जगह ‘चिंतन’ और ‘व्यथा’ की जगह ‘व्यवस्था’ से समस्याओं के समाधान पर ज़ोर दिया। समस्या समाधान के लिए रोडमैप, माइक्रो प्लानिंग, निरंतर समीक्षा और अनुवर्ती कार्रवाई की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया।

 

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