बांग्लादेश में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें पुलिस द्वारा हिंदुओं के साथ बर्बरता की खबरें भी सामने आई हैं। पहले हिंदू पुजारी से किनारा करने वाला इस्कॉन अब उनसे एकजुटता जता रहा है।
इस्कॉन ने पहले एक बयान में कहा था कि चिन्मय दास संगठन का प्रतिनिधित्व नहीं करते और अनुशासन भंग के कारण उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया है। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने पुष्टि की कि चिन्मय दास को संगठन से हटा दिया गया था।
हालांकि, अपने नए बयान में इस्कॉन ने स्पष्ट किया कि उसने चिन्मय दास से खुद को दूर नहीं किया है और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता का समर्थन करता है, भले ही वह आधिकारिक तौर पर इस्कॉन का प्रतिनिधि न हो। इस्कॉन ने कहा कि उसने केवल यही स्पष्ट किया है कि चिन्मय दास आधिकारिक तौर पर इस्कॉन का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, जैसा कि उसने कई महीनों से कहता आ रहा है।
यह यू-टर्न इस्कॉन के खिलाफ दायर की गई एक याचिका के बाद आया है, जिसमें इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी और उसे कट्टरपंथी संगठन करार दिया गया था। उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था। चिन्मय दास को राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करने वाले एक स्टैंड पर झंडा फहराने के देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है।
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