Punjab: पंजाब राजभवन द्वारा एनईपी 2020 पर उप-कुलपतियों का सम्मेलन आयोजित

शैक्षिक उत्कृष्टता, भाषा समावेशन और संस्थागत विकास को बढ़ावा
उच्च शिक्षा संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु यूजीसी के दिशा-निर्देशों का करें पालन
मातृभाषा में उच्च और तकनीकी शिक्षा संदर्भ पुस्तकें उपलब्ध कराने पर दिया गया जोर
पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने रोजगार आधारित शिक्षा प्रदान करने पर किया ध्यान केंद्रित
चंडीगढ़, 10 अक्टूबर, 2024:
पंजाब के राज्यपाल और यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया ने आज यहां पंजाब राजभवन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर दो दिवसीय उप-कुलपति सम्मेलन का उद्घाटन किया।
अपने उद्घाटन भाषण में, पंजाब के राज्यपाल ने एक संतुलित शैक्षिक ढांचे के महत्व पर जोर दिया, जो छात्रों को समकालीन कौशल से लैस करने के साथ-साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान भी करता हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा को हमारी प्राचीन परंपराओं और आज की तकनीकी प्रगति के बीच सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किस प्रकार यह दृष्टिकोण सांस्कृतिक मूल्यों और आधुनिक दक्षताओं से युक्त समग्र व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है।
पंजाब के राज्यपाल ने पंजाब की शिक्षा प्रणाली की सराहना की तथा अन्य राज्यों की तुलना में इसके उच्च मानकों और प्रगति का उल्लेख किया।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एनईपी 2020 शैक्षणिक परिणामों को और बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण ढाँचा प्रदान करती है, जो संस्थानों को प्रतिभा पहचान, भाषा समावेशिता और कठोर शिक्षक चयन प्रणाली को अपने दृष्टिकोण में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है। राज्यपाल ने कहा कि पंजाब को एक ऐसी प्रणाली का समर्थन करके अपने शिक्षा नेतृत्व को जारी रखना चाहिए जो व्यक्तिगत प्रतिभाओं का सम्मान करे, भाषा के अंतर को पाटे और संस्थागत विकास सुनिश्चित करे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रतिभा-आधारित शिक्षण दृष्टिकोण को लागू करने पर मुख्य ध्यान दिया गया है ताकि प्रत्येक छात्र की अनूठी प्रतिभा को पहचाना जा सके। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा को छात्रों की व्यक्तिगत क्षमताओं का पोषण करना चाहिए, जिससे उन्हें उन क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर मिले जिसमें वे सक्षम हैं। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से व्यक्तिगत शिक्षण विधि का निर्माण करने का आग्रह भी किया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय भाषा को शामिल करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिससे क्षेत्रीय भाषा वाले स्कूलों से उच्च शिक्षा में जाने वाले छात्रों के लिए बदलाव को आसान बनाया जा सके। उन्होंने समावेशी शैक्षणिक वातावरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमारे पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने से छात्र भाषा की बाधाओं का सामना किए बिना उच्च शिक्षा में आगे बढ़ सकेंगे।
शिक्षण में गुणवत्ता पर बात करते हुए राज्यपाल ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार सख्त शिक्षक चयन प्रक्रिया पर जोर दिया और देश में शिक्षा प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिए पेपर लीक के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने स्वस्थ भावी पीढ़ियों के निर्माण के लिए पर्यावरण और खेलों के लिए अधिक समर्थन की भी वकालत की।
राज्यपाल ने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को 2035 तक प्राप्त करने के लिए सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों, शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों के एकीकृत और सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है।
पंजाब के शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस ने शिक्षा सुधारों में पंजाब की प्रगति को साझा करते हुए कहा कि बुनियादी ढांचे की बेहतर सुविधाएं, शिक्षक प्रशिक्षण में वृद्धि और छात्रों की बढ़ती उपलब्धियां राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप हैं। उन्होंने 100 प्रतिशत प्लेसमेंट लक्ष्यों के साथ अनुसंधान और रोजगार आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वेद प्रकाश ने उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर बात की और भारतीय संस्थानों को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक भागीदारी और मजबूत शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) के निदेशक प्रोफेसर गणेशन कन्नाबीरन ने एनएएसी प्रत्यायन में हालिया प्रगति पर एक सत्र दिया, जिसमें प्रक्रिया में पारदर्शिता और डिजिटल नवाचार को रेखांकित किया गया।

 

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