
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के हालिया विधानसभा चुनावों ने देश की राजनीति में कई अहम बदलावों की ओर इशारा किया है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिला है, जबकि हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार सत्ता हासिल की।
जम्मू-कश्मीर:
-
लोकतंत्र का जीत: जम्मू-कश्मीर के चुनाव ने यह साबित किया है कि राज्य में लोकतंत्र मज़बूत है और जनता को अपनी आवाज़ उठाने का अवसर मिला है।
-
नेकां-कांग्रेस गठबंधन का उदय: अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव नेकां-कांग्रेस गठबंधन के लिए बड़ी जीत थी, जो राज्य का दर्जा बहाल करने और अलगाववाद को रोकने पर जोर दे रही है।
-
भाजपा का प्रभाव: भाजपा को जम्मू में अच्छा प्रदर्शन मिला और 2014 से उसकी लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी देखी गई।
-
कश्मीर में कमज़ोर पकड़: कश्मीर में भाजपा का प्रभाव कमज़ोर है।
हरियाणा:
-
भाजपा की हैट्रिक: भाजपा ने हरियाणा में तीसरी बार सत्ता हासिल की है।
-
विकास का कार्ड: हरियाणा में भाजपा की विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता ने सराहा।
-
दलितों और पिछड़ों का समर्थन: दलितों और पिछड़ों ने भाजपा को अपनी वास्तविक हितैषी माना।
-
कांग्रेस का पतन: कांग्रेस आंतरिक असंतोष, खराब संगठन और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निर्भरता के कारण चुनाव हार गई।
-
विपक्ष की विफलता: कांग्रेस हिंदुत्व, राष्ट्रीय एकता, संस्कृति, भाषा और अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर भाजपा को टक्कर देने में नाकाम रही।
इन चुनावों से मिलने वाले मुख्य संदेश:
-
लोकतंत्र मज़बूत: जम्मू-कश्मीर के चुनावों ने विश्व को यह संदेश दिया कि भारत के इस भूभाग में लोकतंत्र मज़बूत है।
-
विकास का महत्व: हरियाणा में भाजपा की जीत विकास कार्यों के महत्व को दर्शाती है।
-
दलितों और पिछड़ों का निर्णायक रोल: दलितों और पिछड़ों के वोट का निर्णायक रोल होता है।
-
कांग्रेस का संकट: कांग्रेस को आंतरिक सुधार करने और अपनी रणनीति में बदलाव करने की ज़रूरत है।
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनावों के नतीजों से भाजपा को आगामी चुनावों के लिए आत्मविश्वास मिला है, जबकि कांग्रेस को अपनी रणनीति और संगठन को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
Pls read:Haryana: कांग्रेस का पतन, भाजपा का उदय, दलितों-पिछड़ों का निर्णायक रोल