शिमला: डीए एवं एरियर की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदेश सचिवालय के 5 संगठनों के निशाने पर शुक्रवार को नगर एवं ग्राम नियोजन व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी रहे।
बीते दिन धर्माणी ने कर्मचारी नेताओं पर चमचागिरी करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रतिकूल हालात में यदि कर्मचारी सरकार का साथ नहीं देते हैं तो उनके वेतन में कटौती भी हो सकती है। इस बयान के बाद कर्मचारियों ने धर्माणी से माफी मांगने की शर्त रखी।
शुक्रवार को सचिवालय के आर्म्जडेल भवन में आयोजित जनरल हाउस में हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी महासंघ के प्रधान संजीव शर्मा ने धर्माणी से उनके 3 सवालों के जवाब देने और माफी मांगने की मांग की। शर्मा ने पूछा कि मोबाइल पर मिलने वाली कॉल सुविधा पर मिलने वाले भत्ते, सत्कार भत्ते और करोड़ों रुपये खर्च वाले कार्यालयों के बारे में धर्माणी का क्या कहना है?
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि प्रदेश की अफसरशाही सरकार को गुमराह करके अपने हित साध रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 27 अगस्त तक सरकार वार्ता के लिए नहीं बुलाती, तो 28 अगस्त से काले बिल्ले लगाकर सरकार का विरोध किया जाएगा।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता में देरी करने पर कर्मचारी सरकार और अफसरशाही की परतें खोलते रहेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की वित्तीय संकट वाली बातों के पीछे अफसरों की नालायकी है, जिसके कारण वर्ष 2023 में 114 करोड़ रुपये लैप्स हो गए।
प्रदेश सचिवालय में निजी सचिव संघ के अध्यक्ष बोधराज चंदेल ने कहा कि अगर सरकार पहले मान जाती तो इतनी नौबत न आती। उन्होंने कहा कि वह सी.एम. से अपनी मांगों को लेकर कई बार मिले, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सचिवालय में आउटसोर्स भर्ती के जरिए चेहतों को नौकरी दी जा रही है।
प्रदेश सचिवालय में अधिकारी संघ के नेता ज्योति चौहान ने कहा कि सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि कर्मचारियों को सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा है।
प्रदेश सचिवालय में चतुर्थ कर्मचारी संघ के महासचिव साहिल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि आज मित्र मंडी करोड़ों में है और कर्मचारी रोड पर है।
प्रदेश सचिवालय में चालक कर्मचारी संघ के महासचिव सतीश ने कहा कि आज अधिकारियों को वित्तीय लाभ देने की फाइल तो रात में ही पास हो जाती है, जबकि कर्मचारियों की फाइलें दबाकर रखी जाती हैं। उन्होंने मंत्री धर्माणी को अपनी गाड़ी और बंगला छोड़ने की सलाह दी।
सचिवालय कर्मचारियों ने कहा कि ओपीएस को बंद करने की हिम्मत न तो सरकार में है और न हीं अफसरशाही में।
धर्माणी ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों के बारे में गलत कुछ नहीं कहा है, इसलिए माफी मांगने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उसमें कर्मचारियों को साथ देना चाहिए।
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