नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में मिले अप्रत्याशित परिणामों के बाद, भाजपा नीत राजग खेमे में चिंता का माहौल है। सात राज्यों की 13 सीटों पर हुए उपचुनावों के परिणामों ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इनमें से पांच सीटें भाजपा और पांच सपा के पास हैं। लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान को भुलाकर भाजपा को संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करना होगा।
सीटों के समीकरण:
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सपा के लिए: सपा ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अब उसे यह साबित करने की चुनौती है कि लोकसभा में मिली जीत का ठोस आधार है।
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भाजपा के लिए: भाजपा के लिए इन उपचुनावों में लोकसभा में बनी धारणा को तोड़कर कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने का मौका है।
सपा के लिए अनुकूल सीटें:
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करहल: अखिलेश यादव की इस सीट को सपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता है।
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कुंदरकी: मुस्लिम बहुल यह सीट सपा के कब्जे से छीनना आसान नहीं होगा।
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कटेहरी: कद्दावर नेता लालजी वर्मा के प्रभाव को भाजपा को कम करने में काफी मेहनत करनी होगी।
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मिल्कीपुर: यह सीट फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है और सभी की नजरें इसपर होंगी।
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सीसामऊ: सपा ने 2017 के मुकाबले 2022 में इस सीट पर जीत का अंतर और बढ़ा दिया था।
भाजपा के लिए अनुकूल सीटें:
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फूलपुर: प्रयागराज की फूलपुर सीट पर भाजपा के लिए लड़ाई आसान होगी।
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खैर: अलीगढ़ की खैर सीट पर भी भाजपा का पलड़ा भारी दिखता है।
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गाजियाबाद: यह सीट भी भाजपा के लिए जीत का मौका है।
चिंता की बात:
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मीरापुर: मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट भाजपा के लिए आसान नहीं होगी।
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अयोध्या: अयोध्या में भाजपा को अवधेश प्रसाद को हराने के लिए अपनी ताकत दिखानी होगी।
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