शिमला: हिमाचल प्रदेश में बढ़ती गर्मी के साथ ही वनों में आग की घटनाओं में भी तेज़ी आई है। इस साल अब तक 1992 वन आग की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिससे 20564 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। यह 2009 के बाद से सबसे ज़्यादा घटनाएँ हैं, जब 1906 वन आग की घटनाएँ हुई थीं।
पिछले पाँच दिनों में ही 117 स्थानों पर वनों में आग लगी है। इन घटनाओं से करोड़ों रुपये की वन संपदा का नुकसान हुआ है और असंख्य जीव-जंतु प्रभावित हुए हैं। पर्यावरण पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सामान्य घटना नहीं है और दीर्घकाल में इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव इंसानी जीवन पर पड़ेगा।
जंगलों में आग लगने की मुख्य वजह मानवीय लापरवाही है। घास के लिए झाड़ियाँ जलाने के दौरान अक्सर आग लग जाती है। वर्षा न होने के कारण जमीन में नमी की कमी से आग तेज़ी से फैल रही है।
विभाग द्वारा आग बुझाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन लंबे समय से वर्षा न होने और वनों तक सड़क सुविधा न होने से कठिनाइयाँ आ रही हैं।
यह एक गंभीर स्थिति है जो पर्यावरण, जीव-जंतुओं और इंसानी जीवन को खतरे में डाल रही है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए ज़्यादा जागरूकता फैलाने और लापरवाही को रोकने की ज़रूरत है।
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