
नई दिल्ली: मेडिकल में दाखिले से जुड़ी नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम) परीक्षा में गड़बड़ी के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी और साथ ही काउंसलिंग रद्द करने की मांग को भी ठुकरा दिया। कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को फटकार लगाते हुए कहा कि परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। इस पूरे मामले पर कोर्ट ने एनटीए को नोटिस जारी किया है।
याचिका में क्या कहा गया?
छात्रों की सहायता के लिए काम करने वाले संगठन के दो सदस्यों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि नीट पेपर लीक की खबर ने कई मेधावी छात्रों का भविष्य खराब कर दिया है और उन्होंने डॉक्टर बनने का अवसर खो दिया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि परीक्षा का संचालन विवेकहीन और मनमाने तरीके से किया गया, जिसका मकसद छात्रों को पिछले दरवाजे से प्रवेश दिलाना था।

एनटीए की सफाई:
एनटीए के डायरेक्टर जनरल सुबोध कुमार सिंह ने परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि कुछ केंद्रों पर समय बर्बाद हुआ, जिसके लिए छात्रों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गड़बड़ियों का समाधान निकाला जाएगा, लेकिन परीक्षा में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख:
सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को नोटिस जारी कर इस मामले पर जवाब माँगा है। कोर्ट का यह रुख एनटीए द्वारा की गई सफाई और परीक्षा की शुचिता को लेकर उठे सवालों को गंभीरता से लेने का संकेत देता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि एनटीए कोर्ट में क्या जवाब देता है और इस मामले का आगे क्या होता है।
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