नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने विजिलेंस जांच का सामना कर रहे उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ सुनील जोशी को तत्काल प्रभाव से पद से हटाने के आदेश दिए। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश व जज राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कुलपति डॉ सुनील जोशी की नियुक्ति को गलत बताते हुए यह आदेश दिये।
गौरतलब है कि लगभग तीन साल पहले डॉ सुनील जोशी की उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि में नियुक्ति हुई थी। नियम विरुद्ध हुई इन नियुक्ति की विजिलेंस जांच भी चल रही है। यूजीसी के मानकों के अनुसार कुलपति पद के लिए बतौर प्रोफेसर कम से कम 10 वर्ष का कार्यानुभव जरूरी है। लेकिन कुलपति डॉ सुनील जोशी 2014 में प्रोफेसर बने । उनके पास सिर्फ 7 साल का ही अनुभव था।
कुलपति पद पर हुई नियुक्ति को डॉ विनोद चौहान ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। डॉ जोशी का तीन साल का कार्यकाल भी जल्द ही समाप्त होने वाला है। उनकी नियुक्ति 12 सितम्बर 2019 को हुई थी। इससे पहले हो हाईकोर्ट ने कुलपति जोशी को पद से हटाने के निर्देश दिये। डॉ जोशी पर आयुर्वेद विवि में हुई भर्तियों में धांधली समेत कई अन्य आरोप भी चस्पा हैं।