देहरादून। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तराखंड की 582 मलिन बस्तियों में रहने वाले 11 लाख गरीबों में से किसी एक को अपना घर नसीब नहीं हो पाया। लचर सरकारी सिस्टम के चलते प्रदेश का कोई भी नगर निकाय इसका प्रस्ताव नहीं बना पाया। नतीजा यह हुआ कि केंद्र ने इस योजना से मलिन बस्तियों को बाहर कर दिया है।
उत्तराखंड के 63 नगर निकायों की 582 मलिन बस्तियों में करीब 11,71,585 लोग रहते हैं। मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए 2015 में शुरू हुई पीएम आवास योजना में घर बनाने का प्रावधान किया गया था। इसके लिए निकायों को प्रस्ताव बनाकर शहरी विकास निदेशालय के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजना था। केंद्र से एक आवास के लिए एक लाख रुपये मिलता है। गरीबों के बेहद लाभकारी इस योजना के तहत सात साल में एक भी निकाय ने प्रस्ताव ही नहीं भेजा। अपर मुख्य सचिव, शहरी विकास आनंदबर्द्धन ने कहा कि पीएम आवास योजना में मलिन बस्तियों का कोई भी प्रस्ताव 2015-2022 के बीच नहीं आया। अब केंद्र सरकार ने योजना से मलिन बस्तियों को बाहर कर दिया है।
योजना खत्म होने तक बस्तियां ही नियमित नहीं हुईं
पीएम आवास योजना में यह भी शर्त थी कि जिस बस्ती का नियमितिकरण हो चुका हो, उसके पुनर्वास का ही लाभ मिलेगा। 2022 में राज्य सरकार ने 102 मलिन बस्तियों को नियमित किया है। इससे पहले तक कोई बस्ती मान्य ही नहीं थीं। केंद्र ने प्रदेश में शहरी गरीबों के लिए (मलिन बस्तियों से अलग) 2015 से 2022 तक 66 हजार आवास बनाने का लक्ष्य दिया था। इसके सापेक्ष 63 हजार आवासों का प्रस्ताव ही केंद्र को भेजा जा सका। इनमें से सात साल में सात हजार आशियाने ही बन पाए। तीन हजार आवास बनने के करीब हैं। अब करीब 53 हजार आशियाने सरकार को दिसंबर 2024 तक बनाने हैं जो कि बेहद चुनौतीपूर्ण काम है।
यह भी पढ़ेंः fake degree : बीएएमएस की जाली डिग्रियां बेचकर इमलाख ने कमाए 90 करोड़