thomas cup 2022: इतिहास रचने वाले लक्ष्य सेन के परिवार का हैं बैडमिंडन में स्वर्णिम इतिहास

थामस कप जीतकर उत्तराखंड के अल्मोड़ा से निकले लक्ष्य सेन ने कड़े परिश्रम से बैडमिंट की दुनिया में नया इतिहास रच दिया है। भारत की टीम ने पहली बार थामस कप जीता है, जिसका लक्ष्य सेना हिस्सा थे। बता दें कि लक्ष्‍य अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपने दादा और पिता से बैडमिंटन के गुर सीखे हैं। वहीं बड़े भाई चिराग ने भी उन्‍हें आगे बढ़ने के लिए काफी कुछ सिखाया है। घर से ही मिले प्रशिक्षण से लक्ष्य ने 10 वर्ष की उम्र में इजरायल में पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीता था।

लक्ष्य मूलरूप से सोमेश्वर (अल्मोड़ा ) के ग्राम रस्यारा के रहने वाले हैं। उनका जन्‍म 16 अगस्त 2001 को हुआ है। लक्ष्य ने 12वीं तक की शिक्षा बीयरशिवा स्कूल अल्मोड़ा से पूरी की। उनके दादा सीएल सेन जिला परिषद में नौकरी करते थे।

दादा ने राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हुए कई पुरस्कार जीते। उन्‍हें बैडमिंटन का भीष्‍म पितामह भी कहा जाता था। लक्ष्य के पिता डीके सेन भी राष्‍ट्रीय स्‍तर बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके हैं। वह स्पो‌र्ट्स अथारिटी आफ इंडिया में कोच रहे चुके हैं और लक्ष्य के कोच भी वही हैं।

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