उत्तराखंड की सियासी हवा में कई मिथक घुले हैं। जिनमे से एक मिथक ये भी रहा है की शिक्षा मंत्री दोबारा जीत हासिल नहीं कर सके । हालाँकि इस मिथक को तोड़ते हुए शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडेय ने जीत हासिल कर्ली है : दरअसल प्रदेश में सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की अहम भूमिका रहती है। लेकिन उत्तराखंड में 4 बार सरकार का गठन हुआ तो सबकी निगाहें शिक्षा मंत्री पर टिकी रही। मंत्री बनने के बाद हर कोई भारी भरकम विभाग लेना चाहते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग से हर कोई बचता रहा और शिक्षा मंत्री दोबारा विधानसभा में नहीं पहुंच पाए। बता दें की 2002 में पहले चुनाव से पहले भाजपा की अंतरिम सरकार में तीरथ सिंह रावत शिक्षा मंत्री रहे, 2002 में पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार में नरेंद्र भंडारी, 2007 भाजपा सरकार में गोविंद सिंह बिष्ट और खजान दास शिक्षा मंत्री बने, 2012 में कांग्रेस सरकार में मंत्री प्रसाद नैथानी शिक्षा मंत्री रहे और ये सब अपने चुनाव हारे है। लेकिन इस बार गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय शिक्षा मंत्री हैं।जो कि फिर से चुनावी मैदान में थे और सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थी कि अरविंद पांडेय मिथक तोड़ते हैं या फिर मिथक बरकरार रहता है। तो वहीँ अब ये मिथक तोड़ते हुए अरविन्द पांडेय ने सबको चौका दिया है।