सुंदरनगर। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को हाल बेहाल है। न खाने को कुछ है न ही पीने के लिए पानी। बार्डर तक पहुंचने को साधन नहीं। गोलीबारी ऐसी की बाहर जाते हुए भी रूह कांप जाए।
यूक्रेन में फंसे हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर के अंकुर वहां फंसे हैं। चार दिन के बाद एक पानी की बोतल और दो छात्रों को खाने के लिए एक संतरा मिला है। दूतावास से मदद तो नहीं मिली पर जिस एजेंसी के माध्यम से यूक्रेन गए हैं उन्होंने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही उनके लिए और अन्य छात्रों के लिए खाने की व्यवस्था भी कर दी जाएगी। खाने के प्रबंध के लिए कितना समय लगेगा, इसका भी कोई पता नहीं है। लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के सीतापुर जिला के आलमबाग क्षेत्र के सागर कुमार वर्मा के साथ स्कूल के कमरे में रह रहे सुंदरनगर के अंकुर चंदेल ने बताया यहां के लोग और सैनिक छात्रों से जानवरों जैसा बर्ताव कर रहे हैं।
रेल में चढ़ते समय कुछ छात्र-छात्राओं को लात मारकर बाहर निकाला जा रहा है। रेलगाड़ी में लड़कों को नहीं बैठाया जा रहा है। बुधवार को केवल 20-25 लड़कियों को ही रेल में बैठाया गया। इसके बाद एजेंसी ने उनसे संपर्क साधा और रेलवे स्टेशन से फिर करीब 20 किलोमीटर का सफर कर पश्चिनो शहर के एक स्कूल में ठहरने का प्रबंध किया गया है। इस दौरान कुछ मिसाइलें तो उनसे कुछ ही दूरी पर उनके सामने ब्लास्ट हुई हैं। स्कूल के इस भवन में करीब 450 विद्यार्थियों को ठहराया गया है, जिनमें किसी दूसरे कमरे में सुंदरनगर के ही बैहली गांव की रिशिता भी है।
अंकुर ने बताया कि उन्हें भारतीय दूतावास से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। एजेंसी उनकी सहायता कर रही है। हालात बदतर होते जा रहे हैं। बंकर में सुरक्षित थे और अब स्कूल के भवन में आकर भय का वातावरण बना हुआ है। अंकुर ने कहा कि सरकार बार्डर पार करने वाले छात्रों को घर पहुंचा रही है। जो छात्र वार जोन में फंसे हैं, उनके लिए कोई कुछ नहीं सोच रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह है कि वार जोन में फंसे छात्रों को निकालने का प्रयास करें।