शिमला। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत जिला मंडी की जंजैहली घाटी में हिमालय की दुलर्भ जड़ी बूटियों के संरक्षण के लिए पार्क तैयार होगा। इसमें देश-विदेश के शोधकर्ताओं, पर्यटकों और विलुप्त हो रही बूटियों को संरक्षण मिलेगा। यह प्रदेश का पहला बायोडायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता उद्यान) है। इसे हिमाचल प्रदेश वन विभाग की ओर से नेशनल मिशन आन हिमालयन स्टडीज (एनएमएचएस) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है।
पार्क में प्रदर्शन के लिए पहाड़ों में विलुप्त हो रही जड़ी-बूटियों की हर्बल नर्सरी तैयार की है। इसमें नाग छतरी, धूप, कडू, सर्पगंधा, चिरायता, टैक्स, बर्बरी, चैरा, पठानबेल, पत्थर चटा, भूतकेसी, न्यार, मुश्कवाला, वण, अजवायण, कूठ व वर्रे, संसरपाली, डोरी घास, रतन जोत, अतीश पतीश, वन ककड़ी, शिंगली मिगली, जगली लहसुन, डुंगतली इत्यादि जड़ी बूटियां प्रदर्शित की हैं। यहां उस जड़ी बूटी पर भी खोज कार्य किया जा सकेगा, जिनकी अभी तक कोई पहचान नहीं हो पाई है। नर्सरी में विभिन्न प्रजातियों के 1200 पौधे उपलब्ध हैं।