अमृतसर। पंजाब में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और उनके बीच कैंसर के बढ़ते मामलों ने सेहत विशेषज्ञों की नींद उड़ा दी है। राज्य में 60 साल से ऊपर के लोगों की आबादी अब 11.6 फीसदी हो गई है जिससे पंजाब पूरे भारत में चौथे स्थान पर आ गया है। एक नई रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि अगर जल्द ही बुजुर्गों के बीच कैंसर को रोकने, जांच करने और इलाज के लिए खास रणनीतियां नहीं बनाई गईं तो राज्य के हेल्थ सेक्टर पर एक भारी बोझ पड़ सकता है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानी एसआरएस की 2023 की सांख्यिकीय रिपोर्ट बताती है कि लंबी उम्र और कम जन्म दर की वजह से बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जबकि 0 से 4 साल के बच्चों का हिस्सा घटकर महज 6 प्रतिशत रह गया है।
पंजाब को अक्सर कैंसर की राजधानी कहा जाता है और यहां के बुजुर्गों के लिए उम्र और लिंग के आधार पर विशेष जांच और इलाज की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। एक बड़े अस्पताल में एक साल के दौरान 608 कैंसर मरीजों पर किए गए अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं। इनमें 82 प्रतिशत मरीज 60 से 74 साल के बीच के थे जबकि 18 प्रतिशत मरीज 75 साल से ऊपर के पाए गए।
अध्ययन में पाया गया कि 60 से 74 साल की उम्र वालों में खून और लिम्फ कैंसर के मामले सबसे ज्यादा यानी 22.4 प्रतिशत थे। इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर 14.8 प्रतिशत और पेट का कैंसर 11.8 प्रतिशत रहा। वहीं 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों में खून का कैंसर 28.4 प्रतिशत और पुरुषों के जननांग कैंसर 20.1 प्रतिशत प्रमुख रूप से देखा गया। कुल मामलों में पुरुषों की संख्या 53.6 प्रतिशत थी जिनमें खून का कैंसर सबसे आम पाया गया और मल्टीपल मायलोमा खून के कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार रहा। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है जो 30.1 प्रतिशत रहा।
लिंग के आधार पर देखें तो पुरुषों में खून और लिम्फ कैंसर 29.7 प्रतिशत और प्रोस्टेट कैंसर 17.8 प्रतिशत है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के अलावा ओवेरियन और यूटराइन जैसे जननांग कैंसर 15.2 प्रतिशत पाए गए हैं। साउथ एशियन जर्नल ऑफ कैंसर में छपे शोध पत्र ‘कैंसर प्रिवैलेंस इन एल्डरली पेशेंट्स टर्शियरी केयर हॉस्पिटल एक्सपीरियंस फ्रॉम पंजाब’ में शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि पंजाब सरकार को बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।
शोधकर्ता सलोनी गोयल और पारुल वर्मा समेत सात विशेषज्ञों की टीम का कहना है कि बुजुर्गों के कैंसर इलाज में जटिलताएं ज्यादा होती हैं। इसके लिए कैंसर रजिस्ट्री को मजबूत करना होगा और डॉक्टरों को बुजुर्गों के कैंसर के इलाज में विशेष ट्रेनिंग देनी होगी। दवा, सर्जरी और थेरेपी का एक मिश्रित तरीका अपनाना वक्त की मांग है ताकि बुजुर्गों को बेहतर जीवन मिल सके।