शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट की घटना और उसके बाद सीनियर रेजिडेंट राघव निरूला की बर्खास्तगी के विरोध में प्रदेश भर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। शुक्रवार को भी प्रदेश के अधिकतर अस्पतालों में डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे जिससे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिला और उपमंडल स्तरीय अस्पतालों के साथ-साथ पीएचसी और सीएचसी में भी हालात खराब रहे और लोग इलाज के बिना ही लौटने को मजबूर हुए। हालांकि राहत की बात यह रही कि आपातकालीन सेवाएं जारी रहीं।
आईजीएमसी शिमला में डॉक्टरों के विरोध का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। यहां 100 से अधिक ऑपरेशन टालने पड़े जिससे मरीज और उनके तीमारदार परेशान रहे। केवल आपातकाल में ऑर्थो के दो ऑपरेशन ही किए जा सके। क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में भी ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं और वहां चार ऑपरेशन टालने पड़े। टांडा मेडिकल कॉलेज में भी रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे लेकिन वहां मेडिकल कॉलेज शिक्षक संघ के चिकित्सकों ने मोर्चा संभाला और ओपीडी सेवाएं जारी रखीं जिससे मरीजों को थोड़ी राहत मिली। टांडा में करीब 25 ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए।
मंडी जिले के नेरचौक मेडिकल कॉलेज और चंबा मेडिकल कॉलेज में स्थिति थोड़ी बेहतर रही और वहां सेवाएं सुचारू रहीं। नेरचौक में 10 ऑपरेशन किए गए। लेकिन मंडी और कुल्लू जिले के अन्य अस्पतालों में हड़ताल का व्यापक असर देखा गया। मनाली, बंजार, आनी और सैंज जैसे इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं। क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में केवल इमरजेंसी सेवाएं ही मिल सकीं।
हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में हड़ताल का असर न के बराबर दिखा। प्राचार्य रमेश भारती ने बताया कि सभी डॉक्टरों ने ओपीडी और वार्डों में मरीजों का इलाज किया। यहां 1232 ओपीडी दर्ज की गई और आंखों, सर्जरी, ऑर्थो और गायनी के कई ऑपरेशन भी हुए। शनिवार को यहां डॉक्टर काले बिल्ले लगाकर अपना विरोध जताते हुए सेवाएं दे रहे हैं।
ऊना जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप रहीं और मरीजों को भारी परेशानी हुई। चंबा के नागरिक अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी डॉक्टरों ने हड़ताल रखी। सेमडिकोट के सचिव मनीष गुप्ता ने लोगों से अपील की है कि वे केवल आपात स्थिति में ही अस्पताल आएं ताकि भीड़ कम हो सके और गंभीर मरीजों को प्राथमिकता मिल सके। उन्होंने कहा कि डॉक्टर और स्टाफ मरीजों की सेवा में जुटे हैं लेकिन मौजूदा हालात में सहयोग जरूरी है।