फतेहगढ़ साहिब। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार की सुबह ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में शीश नवाया। उन्होंने माता गुजरी और दशमेश पिता के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की महान शहादत को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदी सभा के ये दिन पूरे पंजाब के लिए शोक के दिन होते हैं क्योंकि इसी दौरान अत्याचारी शासकों ने छोटे साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवा दिया था। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया इस अद्वितीय और असाधारण बलिदान पर गर्व महसूस करती है और यह केवल पंजाबियों या भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए सम्मान का विषय है।
मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये महान बलिदान मानव इतिहास में बेमिसाल हैं और ये आने वाली पीढ़ियों को अत्याचार, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस पवित्र धरती का कण कण धन्य है जहां लाखों श्रद्धालु नतमस्तक होने आते हैं। साहिबजादों के बलिदान का जिक्र करते हुए मान ने कहा कि अपनी अंतरात्मा की आवाज पर धर्म का पालन करने के मानवीय अधिकार की रक्षा के लिए किया गया उनका सर्वोच्च बलिदान अद्वितीय है। सिख परंपरा में इसे छोटी जिंदगियां वड्डे साके के रूप में याद किया जाता है।
भगवंत मान ने बताया कि उन्होंने ईश्वर से पंजाब की निरंतर समृद्धि, सद्भाव, शांति और भाईचारे की प्रार्थना की है। उन्होंने कहा कि वे खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें राज्य के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला है। श्रद्धालुओं के लिए किए गए इंतजामों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य, परिवहन, सफाई और सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए हैं ताकि किसी भी भक्त को असुविधा न हो। उन्होंने इसे सरकार का सबसे प्रमुख कर्तव्य बताया।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि इस वर्ष नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नवंबर में सरकार ने तीन तख्त शहरों अमृतसर के भीतरी शहर, तलवंडी साबो और श्री आनंदपुर साहिब को पवित्र शहर का दर्जा देने की घोषणा की थी जिसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी हो चुकी है।
वीर बाल दिवस के नामकरण विवाद पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने अकाली दल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब भाजपा नीत केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया था तब अकाली दल ने ट्वीट कर इसका समर्थन किया था लेकिन अब जनता के दबाव में उन्होंने यू टर्न ले लिया है। मान ने कहा कि साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता या किसी विशेष दिन से नहीं जोड़ा जा सकता। बाद में मुख्यमंत्री ने रास्ते में रुककर चाय का लंगर भी छका और श्रद्धालुओं से बातचीत की।