देहरादून। उत्तराखंड में बढ़ रहे मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़े और महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने राज्य के हर जनपद में आधुनिक वन्यजीव बंध्याकरण यानी नसबंदी केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। इसके साथ ही मानव बस्तियों की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग और सेंसर बेस्ड अलर्ट सिस्टम लगाने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि इन योजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएगी और दो सप्ताह के भीतर इनके क्रियान्वयन की रणनीति तैयार कर ली जाएगी।
मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथी, नीलगाय, भालू, गुलदार और बंदर जैसे जंगली जानवर खेती और जान माल को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसे रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से सुरक्षा तंत्र विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि लंगूर, बंदर, सुअर और भालू जैसे जानवरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए हर जिले में वन विभाग के अंतर्गत नसबंदी केंद्र खोले जाएंगे। इसके अलावा मानव वन्यजीव संघर्ष में चिह्नित किए गए जानवरों के रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर भी हर जिले में बनाए जाएंगे। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में कम से कम 10 नाली और मैदानी इलाकों में एक एकड़ जमीन आरक्षित की जाएगी।
वन विभाग को संसाधनों की कमी न हो इसके लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि वन विभाग को जाल, पिंजरे और ट्रैंकुलाइजेशन गन जैसे जरूरी उपकरण खरीदने के लिए 5 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि दी जाएगी। इससे वनकर्मी बेहतर तरीके से हिंसक जानवरों को काबू कर सकेंगे।
एक और बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसक जानवरों से निपटने के लिए अधिकारों का विकेंद्रीकरण किया जाएगा। अब केंद्रीय वन्य जीव अधिनियम के प्रावधानों के तहत रेंजर स्तर के अधिकारियों को भी सशक्त बनाया जाएगा ताकि वे मौके पर त्वरित निर्णय ले सकें। इसके लिए नियमों में जरूरी संशोधन किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर उनकी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी बातचीत हुई है और केंद्र सरकार भी इस दिशा में सहयोग कर रही है। इन कदमों से उम्मीद है कि राज्य में मानव और वन्यजीवों के बीच होने वाले संघर्ष में कमी आएगी और लोगों को सुरक्षा का अहसास होगा।