नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन देशों के चार दिवसीय विदेश दौरे पर हैं। उनके इस महत्वपूर्ण दौरे का पहला पड़ाव जॉर्डन है जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया। जॉर्डन पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां आयोजित एक बिजनेस मीट को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत और जॉर्डन के बीच के गहरे रिश्तों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से अपनी बात रखी। अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय कंपनियों के लिए जॉर्डन को एक बड़े अवसर के रूप में पेश किया।
बिजनेस मीट को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया में कई देश ऐसे हैं जिनकी सीमाएं आपस में मिलती हैं और कई देश ऐसे भी हैं जिनके बाजार एक दूसरे से मिलते हैं। लेकिन भारत और जॉर्डन के संबंध इन सबसे अलग और खास हैं। उन्होंने कहा कि भारत और जॉर्डन के बीच के रिश्ते ऐसे हैं जहां ऐतिहासिक विश्वास और भविष्य के आर्थिक अवसर एक साथ मिलते हैं। यह विश्वास ही दोनों देशों की साझेदारी की सबसे बड़ी नींव है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जॉर्डन के राजा के साथ हुई अपनी मुलाकात और बातचीत का ब्यौरा भी दिया। उन्होंने बताया कि जॉर्डन के राजा के साथ उनकी चर्चा का मुख्य सार यही था कि किस तरह भूगोल को अवसर में बदला जाए और फिर उस अवसर को विकास में तब्दील किया जाए। उन्होंने कहा कि जॉर्डन की भौगोलिक स्थिति उसे एक विशेष दर्जा देती है और इस पर दोनों नेताओं ने विस्तार से चर्चा की। मोदी ने कहा कि आज जॉर्डन एक ऐसे पुल या ब्रिज की तरह काम कर रहा है जो अलग-अलग क्षेत्रों के बीच सहयोग और तालमेल बिठाने में काफी मदद कर रहा है।
नरेंद्र मोदी ने भारतीय उद्योग जगत को जॉर्डन की इस रणनीतिक स्थिति का फायदा उठाने की सलाह दी। उन्होंने विजन रखते हुए कहा कि भारतीय कंपनियां जॉर्डन के माध्यम से दुनिया के अन्य बड़े बाजारों तक अपनी पहुंच बना सकती हैं। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका और कनाडा जैसे देशों का जिक्र करते हुए कहा कि जॉर्डन के रास्ते इन देशों के बाजारों तक पहुंचना भारतीय कंपनियों के लिए आसान हो सकता है।
अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद सभी भारतीय कंपनियों और निवेशकों से अनुरोध किया कि वे इन अवसरों को हाथ से न जाने दें। उन्होंने आह्वान किया कि भारतीय कंपनियां जॉर्डन की इस क्षमता और वहां मिल रहे अवसरों का पूरा लाभ उठाएं ताकि दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते और मजबूत हो सकें। प्रधानमंत्री का यह संबोधन दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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