लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी महत्वाकांक्षी और सफल योजनाओं में से एक ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) को अब नए कलेवर में पेश करने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर इस योजना की समीक्षा बैठक के दौरान यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ओडीओपी अब केवल एक सरकारी योजना नहीं बल्कि ‘ब्रांड यूपी’ की पहचान बन चुकी है। बदलते समय और बाजार की मांग को देखते हुए सरकार ने जल्द ही ‘ओडीओपी 2.0’ को लॉन्च करने का फैसला किया है। इसके साथ ही प्रदेश के हर जिले के स्वाद को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए ‘एक जिला एक व्यंजन’ (ओडीओसी) योजना की शुरुआत भी की जाएगी।
ओडीओपी 2.0 का विजन
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडीओपी का अगला चरण यानी 2.0 स्थानीय उद्योगों और स्वरोजगार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक बाजार में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। आज के दौर में आधुनिक तकनीक, बेहतरीन गुणवत्ता और आकर्षक पैकेजिंग की मांग बढ़ी है। इन्हीं जरूरतों को पूरा करने के लिए ओडीओपी को और अधिक व्यापक और व्यावसायिक रूप देने की आवश्यकता है।
सरकार का लक्ष्य है कि ओडीओपी 2.0 के माध्यम से प्रदेश के पारंपरिक उत्पादों को न केवल बड़े बाजारों तक पहुंचाया जाए, बल्कि उन्हें निर्यात और स्थायी रोजगार का एक मजबूत आधार बनाया जाए। उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार अलग से सहायता केंद्र भी स्थापित करेगी।
एक जिला एक व्यंजन योजना
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की खान-पान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ‘एक जिला एक व्यंजन’ (ओडीओसी) योजना की अवधारणा पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र और जिले में खान-पान की अपनी एक विशिष्ट परंपरा और स्वाद है। यह योजना प्रदेश की सांस्कृतिक आत्मा से जुड़ी होगी।
इस नई पहल के तहत हर जिले के विशेष व्यंजनों की मैपिंग की जाएगी। इसके बाद उनकी गुणवत्ता, स्वच्छता, पैकेजिंग और ब्रांडिंग को बेहतर बनाने पर काम होगा। मुख्यमंत्री का मानना है कि ओडीओपी और ओडीओसी साथ मिलकर उत्तर प्रदेश को ‘लोकल से ग्लोबल’ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
अब तक की उपलब्धियां
बैठक में अधिकारियों ने ओडीओपी योजना की अब तक की सफलता के आंकड़े भी प्रस्तुत किए। बताया गया कि वर्ष 2018 में शुरू हुई यह योजना आज उत्तर प्रदेश के निर्यात और स्थानीय उद्योगों की रीढ़ बन चुकी है। राज्य के कुल निर्यात में ओडीओपी उत्पादों का योगदान पचास प्रतिशत से अधिक है। अब तक सवा लाख से अधिक कारीगरों को टूलकिट बांटे जा चुके हैं और छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया गया है। इसके अलावा 44 उत्पादों को जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) मिल चुका है।
भविष्य की रूपरेखा
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ओडीओपी 2.0 को स्थायी रोजगार का माध्यम बनाया जाए। उन्होंने कहा कि उत्पादों को केवल पारंपरिक बाजारों तक सीमित रखने के बजाय बड़े रीटेल नेटवर्क और आधुनिक बाजारों से जोड़ा जाए। इसके लिए देश के विभिन्न राज्यों में बन रहे ‘यूनिटी मॉल’ में ओडीओपी के लिए समर्पित केंद्र बनाए जाएंगे। साथ ही उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था की जाएगी, ताकि उत्पादों की ब्रांड वैल्यू बढ़ सके।