अमृतसर. विदेश में बैठकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के मुखिया और खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक बार फिर देश की सुरक्षा और संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की है। 13 दिसंबर को भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले की 24वीं बरसी है। इस मौके को भुनाने के लिए पन्नू ने संसद भवन में हंगामा करवाने की एक नई और नापाक साजिश रची है। अपनी इस योजना को अंजाम देने के लिए उसने पंजाब के दो नवनिर्वाचित सांसदों को मोहरा बनाने की कोशिश की है।
सांसदों को भेजा भड़काऊ संदेश
पन्नू ने अपना एक वीडियो संदेश जारी किया है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो के जरिए उसने फरीदकोट से सांसद सरबजीत सिंह खालसा और खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह को उकसाने की कोशिश की है। पन्नू चाहता है कि ये दोनों सांसद 13 दिसंबर को संसद के भीतर एक विशेष अभियान चलाएं। उसने निर्देश दिया है कि संसद में मौजूद हर एक सांसद के हाथ में एक पर्चा थमाया जाए।
इस पर्चे को पन्नू ने एक ‘रेफरेंडम’ यानी जनमत संग्रह का नाम दिया है। वह चाहता है कि संसद में यह सवाल उठाया जाए कि क्या भारत को तोड़ देना चाहिए और क्या पंजाब को एक अलग खालिस्तान देश बना देना चाहिए। पन्नू ने अपने संदेश में कहा है कि ये दोनों नेता खालिस्तान समर्थक वोटों के दम पर ही सांसद बने हैं, इसलिए उन्हें यह काम करना चाहिए। उसने कहा कि भले ही अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है, लेकिन वहां से भी यह सवाल संसद तक भेजा जा सकता है।
2001 के हमले का किया जिक्र
अपने जहरीले वीडियो में पन्नू ने 13 दिसंबर 2001 के संसद हमले की तुलना अपनी इस नई साजिश से की है। उसने कहा कि 24 साल पहले जब संसद पर हमला हुआ था, तब वहां कश्मीर की आजादी की आवाज गूंजी थी और उस वक्त हथियार और बम इस्तेमाल किए गए थे। पन्नू का कहना है कि इस बार भी संसद में आवाज गूंजेगी, लेकिन इस बार हथियार कोई बंदूक नहीं, बल्कि सांसदों के हाथ में थमाया गया सवाल (पर्चा) होगा। वह चाहता है कि ‘भारतीय कब्जे वाले पंजाब’ की आजादी का मुद्दा संसद के पटल पर रखा जाए।
कौन है पन्नू और क्या है एसएफजे
गुरपतवंत सिंह पन्नू मूल रूप से पंजाब के अमृतसर जिले के खानकोट गांव का रहने वाला है, लेकिन उसके पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। उसने विदेश में कानून और मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। साल 2007 में उसने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) नामक संगठन की स्थापना की थी। यह संगठन पंजाब को भारत से अलग करने के लिए तथाकथित ‘रेफरेंडम’ का अभियान चलाता है।
सरकार की कार्रवाई
भारत सरकार ने इस संगठन की गतिविधियों को देश की अखंडता के लिए खतरा मानते हुए जुलाई 2019 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। 1 जुलाई 2020 को गृह मंत्रालय ने पन्नू को व्यक्तिगत रूप से आतंकी घोषित किया था। पन्नू पर पंजाब के युवाओं को हथियार उठाने के लिए उकसाने, मुख्यमंत्री भगवंत मान को जान से मारने की धमकी देने और राष्ट्रीय पर्वों पर माहौल खराब करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं। हाल ही में उसने दिवाली पर भी पंजाब में ब्लैकआउट की धमकी दी थी। एनआईए लगातार उसके खिलाफ कार्रवाई कर रही है और भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की कोशिशों में जुटी है।