नई दिल्ली. पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है और वहां के हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सुरक्षा और जीवन को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। अफवाहों का बाजार इतना गर्म है कि यह चर्चा आम हो गई है कि जेल में बंद इमरान खान की हत्या कर दी गई है। इन खबरों ने उनके समर्थकों के सब्र का बांध तोड़ दिया है। हालात की गंभीरता को देखते हुए और संभावित हिंसा को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार ने रावलपिंडी में तत्काल प्रभाव से धारा 144 लागू कर दी है।
दरअसल इमरान खान रावलपिंडी की आदियाला जेल में बंद हैं। पिछले कुछ समय से उनके परिजनों और वकीलों को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। यही कारण है कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भारी आक्रोश है। समर्थकों ने जेल के बाहर डेरा डाल दिया है और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। रावलपिंडी को पाकिस्तान सेना का गढ़ माना जाता है, इसलिए सरकार को डर है कि अगर पीटीआई समर्थक बेकाबू हुए तो स्थिति संभालना मुश्किल हो जाएगा और शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क सकती है।
रावलपिंडी के डिप्टी कमिश्नर डॉक्टर हसन वकार चीमा ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) अधिनियम 2024 के तहत निषेधाज्ञा जारी की है। प्रशासन द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक यह पाबंदियां 1 दिसंबर से शुरू होकर 3 दिसंबर तक लागू रहेंगी। प्रशासन का कहना है कि सार्वजनिक सुरक्षा और शहर में शांति बनाए रखने के लिए यह कड़े कदम उठाना अनिवार्य हो गया था।
धारा 144 लागू होने के बाद शहर में कई तरह की सख्त पाबंदियां लगा दी गई हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एक जगह पर भारी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। किसी भी राजनीतिक दल या समूह को रैली निकालने, धरना देने, जुलूस निकालने या विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं होगी। हिंसा की आशंका को देखते हुए हथियार, लाठी-डंडे, कीलें और पेट्रोल बम जैसी विस्फोटक सामग्री लेकर चलने पर भी रोक लगाई गई है। इसके अलावा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल और भड़काऊ भाषण देने पर भी सख्त मनाही है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर कोई निर्देश देती है तो उसका पालन करना अनिवार्य होगा।
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की मुख्य वजह इमरान खान से संपर्क का पूरी तरह टूट जाना है। अगस्त 2023 से जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री से पिछले एक महीने से किसी को भी मिलने नहीं दिया गया है। यहां तक कि उनके बेटे ने भी सरकार से अपने पिता के जिंदा होने के सबूत मांगे हैं। इसी संवादहीनता ने हत्या की आशंकाओं को जन्म दिया है। हालांकि पाकिस्तान सरकार और शहबाज शरीफ प्रशासन इन खबरों को कोरी अफवाह बताकर खारिज कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि रावलपिंडी में सेना और पुलिस सड़कों पर उतर आई है और चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
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