धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन भी हंगामेदार रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच प्रश्नकाल और चर्चा के क्रम को लेकर लंबी बहस चली। विपक्ष जहां पहले प्रश्नकाल शुरू करने की मांग पर अड़ा रहा, वहीं सरकार ने नियम 67 के तहत पंचायत चुनावों पर चर्चा को प्राथमिकता दी। काफी जद्दोजहद के बाद अंततः पंचायत चुनावों पर चर्चा शुरू हुई, जिसका समापन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के जवाब के साथ हुआ।
चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने सदन में स्पष्ट किया कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन एक्ट के हटते ही पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह एक्ट राज्य निर्वाचन आयोग पर भी लागू होता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जून में पंचायतों के पुनर्गठन और वार्डबंदी की प्रक्रिया शुरू हुई थी और चुनाव आयोग ने अपना काम बखूबी किया, जिसमें सरकार ने कोई दखल नहीं दिया। उन्होंने कहा कि किसी ने कल्पना नहीं की थी कि वर्ष 2025 में 2023 से भी बड़ी प्राकृतिक आपदा आएगी।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पंचायत चुनावों को टाला नहीं गया है, बल्कि आपदा एक्ट और बंद सड़कों के कारण केवल स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा कि पंचायतों की अवधि अभी शेष है और जनवरी महीने तक चुनाव कराए जा सकते हैं। भाजपा पर निशाना साधते हुए सुक्खू ने पूछा कि क्या भाजपा माइनस 40 डिग्री तापमान में चुनाव करवाना चाहती है? चुनाव के लिए वोट प्रतिशत भी अच्छा होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कई बड़ी आबादी वाली पंचायतों का पुनर्गठन होना अभी बाकी है।
चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर भी चुटकी ली। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर आज भी कह रहे हैं कि वे अपनी पहली कैबिनेट में इस सरकार के फैसलों की समीक्षा करेंगे। सुक्खू ने तंज कसते हुए कहा, “जयराम जी, आपकी पहली कैबिनेट 2027 में होगी या 2028 में, यह किसी को पता नहीं। अभी हमारी सरकार का दो साल का कार्यकाल शेष है।”
इससे पहले सदन में माहौल तब गरमा गया जब राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि जयराम ठाकुर ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में प्रदेश को ‘कबाड़’ बना दिया था। इस बयान के बाद सदन में भारी हंगामा हुआ और पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष ने जगत सिंह नेगी के बयान पर नाराजगी जताते हुए सदन में नारेबाजी की और भोजन अवकाश के बाद जब नेगी दोबारा बोलने खड़े हुए तो विपक्ष ने उनका बहिष्कार करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। नेगी का भाषण खत्म होने के बाद ही विपक्ष सदन में वापस लौटा।
अंत में मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष ने एक बार फिर नारेबाजी की और सदन से बाहर चला गया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में ही प्रस्ताव को सहमति दे दी गई। इससे पहले सुबह की कार्यवाही में प्रश्नकाल को लेकर भी दोनों पक्षों में रस्साकशी चलती रही। जयराम ठाकुर का कहना था कि सरकार विधायकों के सवालों से बच रही है, जबकि मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है और विपक्ष ही चर्चा से भाग रहा है।
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